कृषि कानून के बातचीत से निराश सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार

देश के दिल्ली बॉर्डर पर आन्दोल में डटे किसानों को आज 48 दिन हो चुके हैं।केंद्र का यह विवादित कृषि कानून पूरे देश भर के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।साथ ही समस्या भी।किसानों का लगातार 48 दिनों से आंदोलन करना और किसानों और केंद्र सरकार के बीच कोई सन्तोषजनक सुलह न होना चिंता बढ़ा रही है।आज आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें पता नहीं कि सरकार इन कानूनों को लेकर कैसे डील कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश ने सरकार से कहा कि अगर आप में समझ है,तो इन कानूनों पर अमल ना करें।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कटुसत्य
केंद्र सरकार और किसानों के बीच बेनतीजा रहा हर दौर के बातचीत पर केंद्र सरकार को खरी खोटी सुनाई और केंद्र सरकार से कहा कि या तो आप इन कानूनों पर रोक लगाइए या फिर हम लगा देंगे। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सिर्फ विवादित मुद्दों पर ही रोक लगाई जाए लेकिन कोर्ट का कहना है,कि नहीं हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि लोग मर रहे हैं और हम कानूनों पर रोक नहीं लगा रहे हैं।उच्चतम न्यायालय ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से सरकार और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे हम बेहद निराश हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि आपके राज्य कानूनों के खिलाफ विद्रोह कर रहे हैं। हम फिलहाल इन कानूनों को निरस्त करने की बात नहीं कर रहे हैं।यह काफी नाजुक स्थिति है।सुप्रीम कोर्ट ने और भी कई अहम बाते कहि।
कृषि कानून समाधान है या समस्या
कृषि कानून के आते ही किसानों का आंदोलन करना और केंद्र सरकार का अड़ियल रवैया को देखते हुए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हम नहीं जानते कि आप समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का हिस्सा हैं। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि हम कमेटी बनाने जा रहे हैं, अगर किसी को दिक्कत है तो वो बोल सकता है। सभी आदेश एक ही सुनवाई के दौरान नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपने इसे उचित ढंग से नहीं संभाला है। हमें इस पर एक्शन लेना ही होगा।