विडंबना कहे या नियति, जिस पीसी सिंह को छत्तीसगढ़ में मिली पहचान वहीं से निकलेगी पीसी सिंह की जेल वाली बारात!

रायपुर। कहते हैं कि व्यक्ति चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए कितना ही पैसे वाला क्यों ना हो जाए या कितना ही नामी क्यों ना हो जाए लेकर उसकी पहचान किसी न किसी एक जगह से ही शुरू होती है। ठीक इसी तरह मॉडरेटर पीसी सिंह की शुरुआत भी छत्तीसगढ़ के भाटापारा से हुई जहां से उनको मसीही समाज के लोगों का भरपूर प्यार, सम्मान व अपनापन मिला लेकिन शायद पिसी सिंह को इन सब चीजों की जरूरत ही नहीं थी उन्हें जरूरत थी तो केवल और केवल मसीही समाज के लोगों के सम्मान अपनापन व स्नेह का फायदा उठाकर कैसे भी करके मिशन की जमीनों का बंदरबांट करके अपना जेब भरने की।
यही कारण है कि जिस मसीह समाज के लोग इन्हें अपना मसीहा धर्मगुरु अपना भगवान मानकर पूजते थे उनके इसी विश्वास पर प्रहार करते हुए पीसी सिंह ने ना केवल अपने समाज के लोगों का वरन प्रभु के दिखाए गए मार्गो का भी अनादर किया। पीसी सिंह ने सिर्फ और सिर्फ अवैध तरीके से मुनाफाखोरी, मिशन की जमीनों का बंदरबांट करने जैसे तमाम कुकृत्य में चलकर अपना उल्लू सीधा किया। लेकिन अब वक्त आ गया है उनके सारे कुकर्मों का हिसाब करने का। जिस तरह से पीसी सिंह ने मसीही समाज के लोगों के विश्वास पर पानी फेरा है उसको देखते हुए अब इस तरह की जानकारी मिल रही है कि बहुत जल्द ही पिसी सिंह जेल के सलाखों के पीछे होगा और मजे की बात तो यह है कि जिन लोगों ने उन्हें अपना मसीहा बनाया और जहां से पीसी सिंह ने अपनी उड़ान भरी उसी छत्तीसगढ़ के लोगों द्वारा ही अब उसे आसमान से सीधे नीचे उतारने का कार्य किया जा रहा है।
या यूं कहा जाए कि जिस छत्तीसगढ़ में नाम कमाया अब वही छत्तीसगढ़ में उनके इन कु कृत्यों का अंत होने जा रहा है, क्योंकि समाज के लोगों को पैसों के लोभ से कहीं ज्यादा प्रभु के दिखाए गए मार्गों पर रोड़ा डालने वाले और उनके नाम पर वसूली करने वाले लोगों को धूल चटाना ज्यादा आवश्यक है। वरना कुछ लोग तो डायोसिस में बैठकर धर्मगुरु बनकर परमेश्वर के मार्गों पर चलने के बजाय पीसी सिंह के फेंके गए पैसे बटोर कर अपना जेब भरने में लगे हुए हैं।