लंबे समय तक कॉलेज मे सेवा दे रहे अतिथि व्यख्याताओं की लटकाई नियुक्ति,उच्च शिक्षा विभाग अवमानना की याचिका दायर करने जाने को हुए मजबूर व्याख्याता गन

कोरोना ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया।जिसका सबसे ज्यादा बुरा असर आम जनता और प्राइवेट कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है।कोरोना ने न जाने कितनों को आर्थिक परेशानियों में डाल दिया है।वही अब स्थिति धीरे धीरे सामान्य होने पर भी इन्हें ही परेशानियां उठानी पड़ रही है।सरकार व विभाग भी इनकी परिस्थितियों से भली भांति परिचित हैं।फिर भी कोई संतोषजनक कार्य नही किया गया।बता दें कॉलेज बंद होने की वजह पिछले 11 महीनों से बेरोजगार बैठे महाविद्यालयीन अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं हुई जिससे अतिथि व्याख्याताओं में गहरी निराशा व्याप्त है।और इनकी परेशानियों को जानकर भी विभाग कोई सन अहम फैसला नहीं ले रही।
बता दें अतिथि व्यख्याताओं के साथ शुरू से ही पक्षपात हो रहा है।उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा अतिथि व्याख्याताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है पहले ऑनलाइन क्लास के लिए अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं की गई और वहीं अब ग्राउंड लेवल पर कॉलेज खोला गया तब भी अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति आदेश जारी नहीं किया गया है।जिसके चलते अतिथि व्याख्यताओं में नाराज़गी देखने मिल रही है।
दरसल पिछले 10-12 वर्षों से सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर अंतिथि व्याख्याताओं से सेवा ली जाती रही है। लेकिन वही 10-12 वर्षों से सेवा दे रहे। व्याख्याताओं को शिक्षा विभाग 11महीनों से बेरोजगार कर दिया है। व्याख्याताओं को भरोसा था कि कॉलेज खुलने पर नियुक्ति मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ एक बार फिर अतिथि व्याख्याताओं को निराशा हांथ लगी है। महज 200रूपये प्रति पीरियड पढ़ाने वाले व्याख्याताओं को अब जीवकोपार्जन करने में समस्या हो रही है क्योंकि एक मात्र आशा और सहारा यही था।
सिवाय यह है,कि आखिर कहां जाये प्रदेश के 2500 से अधिक अतिथि व्याख्याता। उच्च शिक्षा विभाग एक तो अतिथि व्याख्याताओं के साथ पक्षपात पूर्ण व्यवहार कर रही है वहीं दूसरी ओर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले 2500 अतिथि व्याख्याता को कार्य से निकाल दिया है आखिर कार किससे और कैसे पढ़ाई को मेनटेन कर रही उच्च शिक्षा विभाग।एक ओर स्कूल शिक्षा विभाग अतिथि शिक्षकों को नियुक्ति दे दी पढ़ाई का हवाला देकर और वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं देकर विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित कर रही है।
ऑनलाइन पढ़ाई हो रही हैं ठप्प
कॉलेजों एवं स्कूलों में होने वाली ऑनलाइन पढ़ाई में भी कोई दमदारी नही है।ऑनलाइन शिक्षा पूरी तरफ ठप्प है,उसके बावजूद भी उच्च शिक्षा विभाग ऑनलाइन शिक्षा पर इतनी जोर क्यों दे रही कॉलेज खुलने पर अतिथि व्याख्याताओं की नियुक्ति पर रोक क्यों लगी हुई है। एक ओर नियमित प्राध्यापकों को बिना पढ़ाए लाखों वेतन दे रहे है और वहीं अतिथि व्याख्याता जिन्हें महज 16-17 हजार रूपए मिलता है उनकी नियुक्ति करने में समस्या हो रही है आखिर चाहती क्या है उच्च शिक्षा विभाग। अतिथि व्याख्याताओं का कहना है कि यदि इनकी नियुक्ति नहीं की गई तो उच्च शिक्षा विभाग और प्राचार्यों के विरूद्ध नियुक्ति नहीं देने के संबंध में अवमानना का केस दायर करने न्यायालय के शरण में जायेंगे क्योंकि इनकी नियुक्ति उच्च न्यायालय के द्वारा यथावत रखी गई है बहरहाल यह देख पाना दिलचस्प होगा कि उच्च शिक्षा विभाग अतिथि व्याख्याताओं को नियुक्ति देती है या व्याख्याता गण न्यायालय जाने को मजबूर हो जायेंगे।