जल संरक्षण की दिशा में मिल का पत्थर बना नरवा अभियान

छत्तीसगढ़ में जल संरक्षण कि दिशा में शासन की महत्वकांक्षी नरवा अभियान का सकारात्मक परिणाम जिले के ग्रामीणों को मिलता दिख रहा है। जल ही जीवन है, के अवधारणा अनुरूप नाले के पानी को सहेजना और अपने आवशकताओ की पूर्ति के लिए उपयोगी बनाने का महत्वपूर्ण कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के सहायता से हो रहा है।कबीरधाम जिले के वनांचल क्षेत्र विकासखण्ड बोड़ला के ग्राम लब्दा, जोकपानी, पुतकी एवं बोदा तीन जैसे ग्रामों में बहने वाला टमडू नाला फरवरी माह के मध्य में भी बहता हुआ देखा जा सकता है। 7.23 किमी लंबे इस नाले को नरवा अभियान के तहत सहेजने का काम महात्मा गांधी नरेगा योजना के साथ किया गया है। 5.03 किमी राजस्व क्षेत्र एवं 2.2 किमी वन क्षेत्र में बहने वाले इस नाले से क्षेत्र कि बड़ी आबादी सीधे लाभान्वित हो रहीं है। खेती किसानी के लिए पानी कि आवश्यकता ग्रामीणों की पुरानी मांग रहीं है यही कारण है कि वनांचल गांव लब्दा, जोकपानी, पुतकी, एवं बोदा में बहने वाला टमडू नाले का जीर्णोद्धार कर साल के अतिरिक्त तीन महीने पानी की उपलब्धता बढ़ाया गया है।

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विजय दयाराम के. ने बताया कि टमडू नाले के जीर्णोद्धार से भू-जल स्तर में 6 प्रतिशत कि वृद्धि हुई है। नरवा उपचार के पूर्व सिंचित क्षेत्र जहां 257.21 हेक्टेयर था वह बढ़कर अब 312.48 हेक्टेयर हो गया है। इस तरह 55.27 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का साधन सीधे तौर पर बढ़ा है। जिसके कारण खरिफ एवं रबी फसलो में वृद्धि होना निश्चित है। उन्होंने बताया कि शासन के महत्वकांक्षी योजना नरवा अभियान के तहत पानी कि उपलब्धता बढ़ाने के लिए बोड़ला क्षेत्र के 6 अलग-अलग नालों में बहुत से कार्य कराये गये है जिसमें से टमडू नाला एक है। वनांचल क्षेत्र के ग्रामीणों को रोजगार कि उपलब्धता के साथ साल के तीन अतिरिक्त महीने पानी उपलब्ध कराना ही लक्ष्य रहा है तथा वर्तमान में टमडू नाले में पानी अप्रेल माह तक उपलब्ध होना संभावित है। जिसकी सहायता से गेहू, चना एवं अन्य रबी की फसल कृषकों द्वारा आसानी से लिया जा रहा है। मजदूरी मूलक कार्यो में खर्च करते हुए सिर्फ 5 लाख 40 हजार रुपये में नाला उपयोगी बन गया है।


संवाददाता
प्रवीण टाइगर