वहाबी,सलाफ़ी और देवबंदी मुसलमान जो करते हैं सुन्नी होने का दावा

उत्तर प्रदेश के सम्भल-मुस्लिम समुदाय में दो वर्ग शिया और सुन्नी माने जाते हैं। शिया समुदाय के लिए अलग से वक़्फ़ बोर्ड बना हुआ है और शेष मुस्लिम समुदाय की वक़्फ़ जायदाद के लिए उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड बना हुआ है। जो कि वक़्फ़ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार बनाये गए हैं ।विदित हो कि सुन्नियों की वक़्फ़ जायदादें जिनमें 85% से अधिक सूफी जायदादें इमाम बारगाह, ख़ानक़ाह,मज़ार और दरगाहों और इसी विचारधारा की मस्जिदों की है। ज्ञातव्य हो कि सूफ़ियों की इन आस्थाओं से वहाबी सलाफ़ी और देवबंदी मुसलमान जो खुद के सुन्नी होने का दावा करते हैं सूफ़ियों की इन आस्थाओं के विरोधी हैं और उनके मौलाना, मुफ़्ती सूफ़ियों की आस्था को कुफ़्र मानकर फ़तवे जारी करते हैं देवबंदी,वहाबी,और सलाफ़ी समुदाय के आम लोग भी अपने मोलवियों के मत पर विश्वास करते हैं।हास्यास्पद बात तो यह है कि जिस विचारों से 15% वर्ग सहमत नहीं वह 85% वर्ग के लोगों की वक़्फ़ जायदाद पर नियंत्रण रखते हैं।यही कारण है कि वक़्फ़ सम्पत्ति के सम्बन्ध में आये दिन कोई न कोई विवाद होता रहता है।

पूर्ववर्ती सरकारों का यह नियम रहा था कि सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए उन्हें देवबंदी वहाबी विचारधारा की जमीयत उलेमा का अक़ीदे यानी आस्था का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना पड़ता था वह नियम शायद अब भी लागू है जो पूरी तरह से अन्याय पूर्ण बात है।रोचक तथ्य यह है कि जिन मजारों को वहाबी सलाफ़ी विचारधारा के लोग पड़ी मूर्ति बताते हैं और उनमें आस्था रखने वालों को काफिर मुशरिक और बुतपरस्ती करने वाला मानते हैं।उन्हीं की आस्था के केंद्रों मजारों दरगाहों आस्तानों खानकाहों पर अपना नियंत्रण करने के लिए प्रयासरत रहते हैं।उल्लेखनीय बात यह है कि इन सबके पीछे एक खास विचारधारा को स्थापित किया जाना इन का उद्देश्य है यह लोग यह चाहते हैं कि किसी प्रकार येन केन प्रकारेण ख़ानकाही निज़ाम पर वहाबी विचारधारा का प्रभुत्व स्थापित किया जाए। इसके लिए इनके नज़दीक वो सभी संस्थाएं जिनमें आम मुस्लिम समुदाय का जुड़ाव है।उस पर नियंत्रण स्थापित किया जाए इसमें मुस्लिम अवक़ाफ़ से सम्बंधित संस्थाओं जैसे वक़्फ़ बोर्ड वक़्फ़ ट्रब्यूनल और दूसरी मुस्लिम संस्थाओं जिससे आर्थिक रूप से मुस्लिम समुदाय लाभान्वित होता है जैसे अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम आदि संस्थाओं पर वहाबी सलाफ़ी विचारधारा के लोग अपना नियंत्रण स्थापित करने में लगे हुए हैं।वहाबी सलाफ़ी विचारधारा को आम जनसमुदाय में प्रचारित और प्रसारित करने को रोकने की दिशा में सब से पहला काम मुस्लिम समुदाय से सम्बंधित साशकीय संस्थाओं में बैठे इनके लोगों के स्थान पर सूफ़ीज़म को प्रमोट करने वाले लोगों को बिठाना पड़ेगा।
संवाददाता
मुबारक अली