रायपुर: पूर्व मंत्री कवासी लखमा के करीबियों पर ACB-EOW का शिकंजा, 13 ठिकानों पर दबिश, 19 लाख कैश व दस्तावेज जब्त

रायपुर। 2161 करोड़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) और EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा) की टीम ने रविवार सुबह कवासी लखमा के करीबियों के 13 ठिकानों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की।
यह कार्रवाई राजधानी रायपुर समेत सुकमा, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर और जगदलपुर के ठिकानों पर की गई। इन छापों में 19 लाख रुपए नगद, जमीन और निवेश से संबंधित दस्तावेज, बैंक लेनदेन की फाइलें, मोबाइल-टैबलेट-पेन ड्राइव जैसी डिजिटल सामग्री जब्त की गई है।
कार्रवाई के मुख्य बिंदु:
13 ठिकानों पर दबिश:
5 सुकमा
2 रायपुर
2 जगदलपुर
1 अंबिकापुर
1 दंतेवाड़ा
2 अन्य स्थान
जब्त सामग्रियां:
₹19 लाख नकद
भूमि निवेश के दस्तावेज
बैंक अकाउंट डिटेल्स
पेन ड्राइव, टैबलेट, मोबाइल
सरकारी सप्लाई से जुड़े अनुबंध व रसीदें
किन-किन पर कार्रवाई?
1. बशीर (ड्राइवर): लखमा के लंबे समय से निजी वाहन चालक।
2. राजकुमार तांबों (कांग्रेस नेता): दंतेवाड़ा निवासी, अत्यंत करीबी, ‘गरीबों का नेता’ कहे जाने वाले नेता के परिसरों में गहन छानबीन।
3. प्रेम मिगलानी (जगदलपुर): हार्डवेयर व्यापारी और पेट्रोल पंप संचालक।
4. कमलेश नाहटा और जी नागेश्वर राव (रायपुर): संतोषी नगर और देवेंद्र नगर के निवासी व्यवसायी।
5. अशोक अग्रवाल (अंबिकापुर): ब्रह्मपुर निवासी, कपड़े की दुकान ‘ध्वजाराम रामकुमार’ संचालक, पूर्व में DMF घोटाले से भी जुड़े।
कवासी लखमा की भूमिका क्या?
ACB-EOW की जांच में यह सामने आया है कि कवासी लखमा ने आबकारी मंत्री रहते हुए सिंडीकेट मेंबर्स के साथ मिलकर सरकारी सप्लाई व ठेकों में नियमों को ताक पर रखकर अवैध लाभ पहुंचाया।
जांच एजेंसी ने प्रेस नोट में बताया कि यह पूरा मामला IPC की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व 12 के तहत दर्ज किया गया है।
वर्तमान में कवासी लखमा 21 जनवरी से न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद हैं।
एजेंसियों की नजर में क्या?
सभी ठिकानों पर आय से अधिक संपत्ति की जांच हो रही है।
अधिकांश कारोबारियों के सरकारी विभागों से अनुबंध हैं।
घोटाले में सरकारी सप्लाई से लेकर निजी निवेश तक की जाँच गहराई से की जा रही है।