भाजपा ने काटा 24 दावेदारों का नाम, दागियों का आगे भी कटेगा पत्ता
रायपुर। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुत सतर्कता बरतते दिखाई दे रही हैं। और पुरानी किसी भी गलती को दोहराना नहीं चाहती। जो-जो गलतियां बीजेपी को चुनाव या उप-चुनाव में ले डूबीं थी, उनसे पार्टी ने पूरी तरह से किनारा कर लिया है। बीते अनुभवों से , भाजपा ने इस बार चुनाव में किसी भी दागी दावेदार को टिकट ना देने का फैसला किया है। इस बार प्रत्याशियों के चयन में ऐसे करीब 2 दर्जन दावेदारों के नाम काट दिए गए हैं।
01 नवंबर 2022 में हुए भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम पर दुष्कर्म के आरोपों के चलते भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भाजपा बहुत कोताही बरत रही है और किसी ऐसे उम्मीदवार को टिकट नहीं देना चाहती, जिसके खिलाफ कोई आपराधिक केस हो। हाल ही में पामगढ़ विधानसभा सीट से टिकट की दावेदार महिला के खिलाफ दहेज यातना का केस दर्ज होने की पुष्टि हुई तो पार्टी ने उन्हें दरकिनार कर दिया । 21 टिकटों की पहली सूची तैयार करते हुए इस पर खासा ध्यान दिया गया और आगे किसी भी मामले के FIR दर्ज वाले दावेदारों को टिकट ना देने का निर्णय लिया गया है। गौरतलब हैं की अब भाजपा केवल स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशियों को ही मौका देना चाहती हैं। हालाँकि देखना यह भी हैं कि इसका चुनाव मैदान में मुकाबले पर क्या असर पड़ता हैं।
छत्तीसगढ़ के चुनावी मैदान में दागी प्रत्याशियों या फिर विधानसभा में विधायकों की मौजूदगी नई नहीं है। मौजूदा विधानसभा के 90 में से 22 विधायकों पर आपराधिक केस दर्ज हैं। जिनमें 12 विधायक यानी 13 फीसदी पर गंभीर अपराध के केस रजिस्टर हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि, सत्ता और सियासत के साथ किस तरह अपराध का तालमेल बना हुआ है। वहीं बीजेपी ने दागियों को नो एंट्री कहकर अब कांग्रेस पर भी दबाव बढ़ा दिया है।