चाणक्य नीति: परिवार के लिए बेहद लकी होती हैं ऐसी महिलाएं, घर में हमेशा बनी रहती है सुख-शांति

Chanakya Niti: हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में हमेशा सुख-शांति और समृद्धि का वास हो. कभी क्लेश न हो और धन-दौलत में बरकत बनी रहे. लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार यह सब कुछ काफी हद तक घर की महिलाओं पर निर्भर होता है. क्योंकि जिस घर में एक गुणी महिला होती है वहां कभी सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती और मां लक्ष्मी का वास रहता है. ऐसी महिलाएं घर को स्वर्ग बना देती हैं और अपने गुणों की चलते समाज में भी सम्मानीय स्थान प्राप्त करती हैं. आइए जानते हैं महिलाओं के कौन से गुण परिवार के लिए शुभ माने जाते हैं?
महिला का बात-बात पर रोना
चाणक्य नीति के मुताबिक, बात-बात पर रोने वाली महिलाएं दिल की बहुत ही कोमल होती हैं और ऐसी महिलाएं कभी भी अपने पति और परिवार से दूर नहीं होना चाहती. उनकी यह भावना परिवार को जोड़े रखने के लिए बहुत अच्छी होती है. महिलाओं के रोने या चिल्लाने से उनके अंदर तनाव या गुस्सा इकट्ठा नहीं होता है, इससे वे किसी बात को मन में नहीं बिठातीं हैं. साथ ही लोगों को जल्दी माफ भी कर देती हैं. बात-बात पर रो देने वाली महिलाएं कभी किसी का भी दिल नहीं तोड़ती हैं.
धार्मिक कार्यों में रूचि
आचार्य चाणक्य का कहना है कि जिन स्त्रियों की धार्मिक कार्यों में रूचि होती है, उनका मन हमेशा शांत रहता है. ऐसी महिलाएं तरक्की या सफलता पाने के लिए एकाग्र होती है. नीति शास्त्र के अनुसार, ऐसी स्त्रियों को दूसरों की सफलता या असफलता परेशान वहीं करती है, वह सिर्फ अपने जीवन के उद्देश्य में मग्न होती हैं.
अनुशासन में रहना
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति में बताया है कि जो स्त्रियां अनुशासन में रहती हैं वह जल्दी सफलता हासिल करती हैं. कहते हैं कि ऐसी महिलाएं दूसरे के लिए प्रेरणा होती हैं. नीति शास्त्र के अनुसार, अपने सपनों और कार्यों को पूरा करने के कारण इस स्वभाव की महिलाओं को परिवार के सदस्यों के साथ समाज में भी खूब मान-सम्मान मिलता है.
किसी के प्रति बैर नहीं
आचार्य के मुताबिक, जो महिलाएं बता-बात पर रोती व चिल्लाती हैं, उनके अंदर तनाव व गुस्सा इकट्ठा नहीं होता है. इससे वे बीमारियों से भी बचती हैं. साथ ही वे किसी बात को मन में नहीं बिठातीं हैं और वे लोगों को जल्दी माफ भी कर देती हैं. इनके मन में न तो किसी के प्रति बैर होता है और न ही ये किसी से दुश्मनी रखती हैं.