हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री उपन्यास “टॉम्ब ऑफ़ सैंड” को मिला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार
दिल्ली। भारत के हिस्से में एक बार फिर गौरवशाली इतिहास शामिल हुआ है। हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के रेत समाधि पर आधारित उपन्यास “टॉम्ब ऑफ़ सैंड” को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। “टॉम्ब ऑफ़ सैंड” प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाला किसी भी भारतीय भाषा से अकथनित पहला उपन्यास है। जिसे हिंदी भाषा मे अनुवाद किया गया है। “टॉम्ब ऑफ़ सैंड” गीतांजलि श्री की ब्रिटेन में प्रकाशित होने वाली पहली पुस्तक है। बता दें गीतांजलि श्री तीन उपन्यासों और कई लघु कहानियों की लेखिका हैं
‘ टॉम्ब ऑफ सैंड ‘ ने एक सौ पैंतीस किताबों से प्रतिस्पर्धा करने के बाद यह पुरस्कार जीता है । यह एक अस्सी वर्षीय महिला की कहानी है , जो अपने पति के निधन के बाद गहरे अवसाद में चली जाती है और फिर जीवन को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश करती है । विभाजन के अपने किशोर जीवन के कटु अनुभवों का सामना करने के लिए यह महिला पाकिस्तान की यात्रा करती है । वह एक माँ , एक बेटी , एक महिला और नारीवादी के महत्व का आकलन करती है ।
इस पुरस्कार के बारे में बात करते हुए गीतांजलि श्री ने कहा कि ‘ टॉम्ब ऑफ सैंड ‘ को पुरस्कार मिलना एक उदासी भरी संतुष्टि है । यह उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है जिसमें हम रहते हैं । यह एक स्थायी ऊर्जा है , जो किसी भी बुरी स्थिति में आशा की I किरण जगाए रखती है । इस उपन्यास का अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया था और उन्हें पचास हजार पाउंड का पुरस्कार मिला है , जिसे लेखक और अनुवादक के बीच बराबर बांटा जाएगा।