इंडिगो का छलावा! मुंबई–रायपुर फ्लाइट में घंटों फँसे यात्री, सर्वर नहीं—पायलट की कमी असली वजह**

मुंबई/रायपुर।मुंबई से रायपुर जाने वाली इंडिगो की फ्लाइट ने शनिवार को यात्रियों की सहनशक्ति की सारी सीमाएँ लांघ दीं। एयरलाइन ने देरी का कारण “सर्वर इश्यू” बताया, लेकिन अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया कि असली समस्या पायलट और स्टाफ की भारी कमी है।
कई पायलट सैलरी बढ़ोतरी न मिलने से नाराज़ हैं और काम पर नहीं आ रहे—जिसके कारण उड़ानें बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
यात्रियों की पीड़ा: गर्मी, भूख और बेचैनी से हालात बिगड़े
फ्लाइट के लगातार लेट होते जाने से यात्री निराश, थके हुए और मानसिक रूप से टूट चुके हैं।
बच्चों को गर्मी और भूख से बेचैनी
बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ती दिखी
महिलाएँ और परिवार परेशान होकर सहायता मांगते रहे
लेकिन एयरलाइन स्टाफ के पास सवालों का कोई जवाब नहीं—सिर्फ वही घिसा–पिटा वाक्य:
“सर्वर डाउन है, कृपया प्रतीक्षा करें।”
क्या सच छुपा रही है इंडिगो?
सूत्रों के अनुसार:
इंडिगो तत्काल उपलब्ध पायलट नहीं ढूँढ पा रही।
प्रबंधन जुगाड़ कर-कर के पायलट बुला रहा है।
स्टाफ और पायलट वेतन व कार्य परिस्थितियों को लेकर विरोध में हैं।
इसके बावजूद यात्रियों को वास्तविक वजह बताने की जगह भ्रमित किया जा रहा है।
विमान मंत्रालय की चुप्पी पर उठे सवाल
ऐसे समय में जब यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए,
विमान मंत्रालय ने भी आँखें बंद कर रखी है।
यात्री खुले शब्दों में मांग कर रहे हैं कि:
“मंत्रालय तत्काल हस्तक्षेप करे और इंडिगो को तब तक नई टिकट बुकिंग पर रोक लगाए,
जब तक स्थिति सामान्य न हो जाए।”
यात्रियों की अपील: हमारी आवाज़ कौन सुनेगा?
एक यात्री ने रोते हुए कहा:
“हमने पैसे देकर टिकट ली है, भीख नहीं माँगी। कम से कम सच तो बताओ… हमारे बच्चों को क्या दोष है?”
यह घटना सिर्फ एक फ्लाइट की नहीं—यह सवाल है भारत के विमानन सिस्टम की गंभीर खामियों पर।
निष्कर्ष: जिम्मेदारी तय करना ज़रूरी
इंडिगो जैसी बड़ी एयरलाइन द्वारा यात्रियों की भावनाओं और समय से खिलवाड़ किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं।
यात्री उम्मीद कर रहे हैं कि:
प्रबंधन पारदर्शी हो
मंत्रालय कार्रवाई करे
यात्रियों को उचित मुआवजा मिले
क्योंकि नागरिकों का भरोसा सबसे बड़ा आधार हैऔर जब वही टूटने लगे, तो व्यवस्था को आईना देखने की जरूरत है।







