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बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष श्रीमती नेताम ने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करने पर जोर दिया

महासमुंद।। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती तेजकुंवर नेताम की अध्यक्षता में आज न्यू सर्किट हाउस, लभरा महासमुंद में बाल अधिकारों पर समीक्षा बैठक सह उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस अवसर पर बाल विकास संरक्षण आयोग की सदस्यगण पुष्पा पाटले एवं आगस्टिन बर्नार्ड, सचिव प्रतीक खरे, बृजेन्द्र ठाकुर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मेघा टेम्भुलकर, जिला कार्यक्रम अधिकारी समीर पांडेय, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.आर. बंजारे, जिला शिक्षा अधिकारी एस. चंद्रसेन सहित अन्य विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

तेजकुंवर नेताम ने कहा कि बच्चों के लिए अधिकारों का संरक्षण इसलिए जरूरी है, क्योंकि बच्चे मासूम एवं उम्मीदों से भरे होते है। उनका बचपन बेहद खुशनुमा और प्रेम भरा होना चाहिए। वे धीरे-धीरे हरसम्भव तरीके से आगे बढ़ते है। जीवन की नींव एक सुरक्षित व समृद्ध बचपन में छिपी होती है। उत्साह और उमंग से भरा बचपन प्रत्येक बच्चों का अधिकार है।

उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए संरक्षण की दिशा में किए जाने वाले कार्य के लिए एक लंबी रणनीति की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए हमें अभिभावकों, प्रशासकीय तंत्र, समाज, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ सामूहिक रूप से कार्य करने पर बच्चों के विकास के लिए बेहतर किया जा सकता है। इसके लिए हम सबको एकजुट होकर जरूरतमंद बच्चों की मदद करनी चाहिए।

बैठक में अध्यक्ष एवं सस्दयों द्वारा जिले में बच्चों के लिए अनिवार्य तथा मुफ्त शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के बेहतर क्रियान्वयनए विद्यालय के मरम्मत योग्य एवं जर्जर भवनों के कार्ययोजना पर चर्चा, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए उपलब्ध शिक्षा के संसाधनों, बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए स्कूलों में खेलकूद की व्यवस्था के लिए पर्याप्त मैदान की उपलब्धता तथा स्कूली बच्चों में कोविड संक्रमण से बचाव एवं टीकाकरण की विस्तारपूर्वक जानकारी ली गई। इसी तरह जिले के चिकित्सालयों में शिशुओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी, पोषण पुनर्वास केन्द्र, टीकाकरण, राज्य शासन द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए चलायी जा रही योजनाओं, सामान्य टीकाकरण एवं कोविड संक्रमण से बच्चों के बचाव एवं वैक्सीनेशन की अद्यतन स्थिति के बारे में समीक्षा की गई।

उन्होंने लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत दर्ज प्रकरणों के निराकरण और मुआवजा समय पर दिलाने, समय-समय पर बाल अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने की बात कही। इसी तरह बच्चों से संबंधित आवासीय संस्थाओं जैसे बाल गृह, आश्रम, छात्रावास में उनके समुचित देखभाल, भोजन, सुरक्षा व्यवस्था के बारे में विस्तारपूर्वक समीक्षा कर जानकारी ली तथा अधिकारियों को बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पहल करने की बात कही।

Nitin Lawrence

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