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ट्रांसपोर्ट को लाभ पहुंचाने खाद्य अमले ने बनाया सिस्टम जिससे सरकार को हो रहा है नुकसान…

महासमुंद। प्रदेश के कुछ जिलों में खाद्य विभाग के अधिकारियों द्वारा राशन के परिवहन के काम में लगे ट्रांसपोर्टरों को किस तरह सालों से लाभ पहुँचाया जा रहा है, इसका खुलासा अब हो रहा है। महासमुंद के पिथौरा विकास खण्ड मे शासकीय उचित मूल्य की दुकान मे नान के द्वारा आपूर्ति किये जा रहे राशन के परिवहन मे गड़बड़ी का मामला सामने आया है। पिथौरा ब्लॉक में गोदाम होने के बावजूद यहां के राशन दुकानो मे बसना विकास खण्ड से राशन की आपूर्ति की जा रही है, जिससे शासन को अधिक भाड़ा देना पड़ रहा है। वहीं पिथौरा का गोदाम में काम काम होने से यहां काम करने वाले कई हमाल बेरोजगार हो गए हैं। इन्ही की शिकायत के बाद ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में घालमेल की बात सामने आयी है।

जिले हर ब्लॉक में है विभाग का गोदाम

दरअसल महासमुंद जिले मे नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के द्वारा 593 शासकीय उचित मूल्य की दुकानो मे राशन की आपूर्ति की जाती है, जिससे लगभग 3 लाख उपभोक्ता राशन लेते हैं, और सैकड़ों हमालो को रोजगार मिलता है। नियमानुसार जिले के पांचो ब्लॉक मे नान का भण्डार गृह है और प्रत्येक ब्लॉक मे उसी भण्डार गृह से राशन का परिवहन कर शासकीय उचित मूल्य की दुकानो को आपूर्ति किये जाने का नियम है, मगर पिथौरा ब्लॉक मे ऐसा नही किया जा रहा है।

यहां हमालो के सामने छा गया आर्थिक संकट

पिथौरा ब्लाक मे कुल 129 शासकीय उचित मूल्य की दुकाने है। जिसमे से नान पिथौरा भण्डारण केन्द्र से मात्र 69 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को राशन की आपूर्तिकी जाती है और पिथौरा के 60 शासकीय राशन दुकानो मे बसना विकास खण्ड से राशन की आपूर्ति की जाती है, जो नियमानुसार गलत है पिथौरा के जिन 60 दुकानो में बसना से राशन की आपूर्ति की जाती है उसमे अधिकांश शासकीय राशन दुकानो की पिथौरा से दूरी कम है और बसना से दूरी काफी ज्यादा है जैसे बल्दीडीह की दूरी पिथौरा से 12.5 किमी है और बसना से 27 किमी है, अंसुला की दूरी पिथौरा से 16 किमी है और बसना से 33 किमी भोकलूडीह की दूरी पिथौरा से 9 किमी है और बसना से 28 किमी, इसके बावजूद नियम को ताक पर रख कर शासन के पैसो का दुरुपयोग किया जा रहा है जिससे शासन को हानि तो हो ही रही है साथ ही हमालो का रोजगार भी मारा जा रहा है, यहां हमालो के सामने आर्थिक संकट छा गया है।

एक दूसरे पर जिम्मा थोप रहे हैं अधिकारी

जब इस पूरे मामले मे नान व खाद्य विभाग से सवाल किया गया, तो खाद्य विभाग के अधिकारी अजय यादव नान पर लापरवाही का आरोप लगा रहे है, और नान की अधिकारी शालिनी गवेल खाद्य विभाग से मिले सूची के आधार पर राशन आपूर्ति करने की बात कह रही हैं। वैसे जानकारों का कहना है कि राशन वितरण व्यवस्था कैसी हो इसकी जिम्मेदारी खाद्य विभाग की है यहां दो दशक से भी ज्यादा समय याने सन 2000 से ही राशन ट्रांसपोर्ट की यही व्यवस्था है, मगर अब तक यहां पदस्थ किसी भी खाद्य अधिकारी ने इसे दुरुस्त करने पर विचार नहीं किया।

जांच के बाद करेंगे कार्यवाही : कलेक्टर

महासमुंद जिले में राशन परिवहन व्यवस्था में थोड़ा सा बदलाव करके अधिकारी ट्रांसपोर्टर को लाखों का फायदा पहुंचा रहे हैं। यह भी तय है कि अधिकारी ऐसा करके ठेकेदार से उपकृत हो रहे होंगे। इस मामले की जानकारी दिए जाने के बाद कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने जांच के बाद कार्यवाही की बात कही है। बहरहाल दो विभागो के आपसी खींचतान के चलते नुकसान शासन व हमालों को हो रहा है। जानकार यह भी कहते हैं कि ऐसा ही प्रदेश के कई जिलो मे हो रहा है, जिसकी नए सिरे से जांच करके व्यवस्था में सुधार की जरुरत है।

Desk idp24

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