प्रदेश में जारी है कोरोना विस्फोट, ढील दे रही भूपेश सरकार
रायपुर। पूरे प्रदेश में व्याप्त कोरोनावायरस अपने नए नए वेरिएंट के साथ पूरी तरह से अपनी पैठ हर राज्यों में जमा चुका है,जिससे निजात पाने के आसार फिलहाल अभी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा। लेकिन, इससे बचने के लिए हर राज्य का हर व्यक्ति अपनी तरह से एहतियात बरतने के लिए स्वतंत्र है। मगर इन सबके बावजूद ना ही राज्य की सरकारें इसके लिए गंभीर है और ना ही लोग। स्थिति यह है कि कोरोनावायरस अपनी मेहमाननवाजी कराने के लिए एक अड़ियल मेहमान की तरह घूमते फिरते राज्यों में अपनी दस्तक दे रहा है। और कुछ इसी तरह का आलम इन दिनों छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है। जहां भूपेश सरकार की खातिरदारी से कोरोना इतना प्रभावित हुआ कि उसने फिर से अपना बोरिया बिस्तर उठा कर प्रदेश की ओर रुख कर लिया है।
छत्तीसगढ़ी में एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है “आए लगिस बरात त ओटन लगिस कपास”। ठीक इसी प्रकार की स्थिति इन दिनों प्रदेश में भी निर्मित हो रही है जहां, जब कोरोनावायरस की स्थिति सामान्य थी तब प्रदेश के मुखिया ने इस स्थिति को और बेहतर करने के लिए प्रयास नहीं किए लेकिन जैसे ही कोरोना की फिर से प्रदेश वापसी हुई तो मुखिया जी ने फिर से नई गाइडलाइन जारी कर दी। लेकिन जो लोग कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ा कर बेखौफ घूमने के आदी बन चुके थे उनके लिए अब फिर अचानक यह गाइडलाइंस का पालन कर पाना उतना आसान नहीं रह गया।
जब प्रदेश कोरोना मुक्ति की कगार पर था तो भूपेश सरकार ने इतनी ढीलाई कर दी कि लोगों के मन से कोरोना का डर जाते रहा। लेकिन जब प्रदेश में धीरे-धीरे कोरोना के आंकड़े बढ़ने लगे तो भूपेश सरकार ने इसे सबक लेना छोड़ सामूहिक जगहों को शत-प्रतिशत खुलने की छूट दे दी और अब आलम यह है कि आज फिर से छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन जैसे हालात निर्मित हो रहे हैं। कई जगहों को कंटेनमेंट जोन भी घोषित कर दिया गया है। अक्सर कहते सुना गया है कि बड़ो की गलती का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है बड़े जब अपने बच्चों को हद से ज्यादा छूट देने लगे तो बच्चों के बिगड़ने के चांसेस 100% ज्यादा होते हैं इसी प्रकार प्रदेश के मुखिया होने के नाते जो कढ़ाई भूपेश सरकार को बरतनी थी उससे उलट उनकी ही ढील का नतीजा है कि लोग बेखौफ होकर कोरोना को नकारते हुए खुद को ही महान समझ बैठे हैं। और आज इसका जो परिणाम है वह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है।
बातों में ही होते हैं निर्देश, जमीनी हकीकत आज भी वही…
वर्तमान में भले ही प्रदेश के मुखिया जी ने नींद से जागकर कमान संभालते हुए कोरोनावायरस के बढ़ रहे आंकड़ों को लेकर नई गाइडलाइंस जारी कर दी हो। पर इन गाइडलाइंस का कड़ाई से पालन करवाने में आज भी प्रशासन की कार्यप्रणाली फिसड्डी साबित हो रही है। कंटेनमेंट जोन घोषित होने के बाद भी लोग अब भी सरकारी निर्देशों को ताक पर रखते हुए पहले की तरह ही अपनी मनमानी कर रहे हैं।
नए साल को लेकर भले ही एडवाइजरी जारी, पर लोगों के न्यू ईयर प्लान पर नहीं आएगी आंच
सरकार ने भले ही कोरोनावायरस के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए नए साल में किसी भी तरह की पार्टी नहीं करने का ऐलान किया हो लेकिन, पुलिस प्रशासन की कार्यों से अवगत लोगों को इसकी बिल्कुल भी चिंता नहीं। क्योंकि सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन कराने में पुलिस कितनी सुस्त है इससे प्रदेश की जनता भलीभांति परिचित है। तो वहीं दूसरी ओर नए साल में सबसे ज्यादा रसूखदारों की शाम रंगीन होती है ऐसे में उन लोगो को भी इस बात की चिंता नहीं कि उनके द्वारा सरकार के गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाई जा रही है क्योंकि, उन्हें पता है कि उन पर कोई आंच नहीं आएगी क्योंकि बड़े-बड़े नेता और मंत्रियों से इनकी अच्छी पहचान है।
अगर भूपेश सरकार वाकई इस बार कोरोनावायरस को लेकर सख्त है तो उन्हें पुलिस प्रशासन के लिए सबसे पहले कड़े नियम बनाने चाहिए। ताकि पुलिस गंभीरता से लोगों को गाइडलाइंस का पालन करने के लिए सचेत कर सकें और नियमों का उल्लंघन करने से रोक सके। वरना नए साल की फिर से वैसी ही तस्वीरें सामने आएगी जो सरकार के निर्देशों की अवहेलना करते हुए उन पर ही खिल्ली उड़ाने वाली होगी।