स्कूल में घुसकर ताला तोड़ा – पूर्व प्रभारी प्राचार्य भावना आर्थर पर गंभीर आपराधिक मामला दर्ज कराने की तैयारी, CCTV फुटेज से छेड़छाड़ का भी आरोप
निलंबित पूर्व प्रभारी प्राचार्य श्रीमती भावना आर्थर

मिशन हायर सेकंडरी स्कूल, पेंड्रारोड़ में शनिवार को घटित घटना ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी।आरोप है कि निलंबित पूर्व प्रभारी प्राचार्य श्रीमती भावना आर्थर ने अपने पति एवं अन्य लोगों के साथ मिलकर विद्यालय परिसर में जबरन प्रवेश किया, मुख्य कक्ष का ताला तोड़ा और कब्ज़ा करने की कोशिश की।
CCTV फुटेज से छेड़छाड़ का प्रयास
प्रबंधन को संदेह है कि घटना के दौरान विद्यालय के सीसीटीवी फुटेज से छेड़छाड़ करने और साक्ष्य मिटाने का प्रयास भी किया गया।तकनीकी जांच के लिए DVR (रिकॉर्डिंग सिस्टम) की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और विशेषज्ञों से रिपोर्ट मंगाई जा रही है।प्रबंधन का कहना है कि यदि यह साबित होता है, तो यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) के साथ-साथ IPC की अतिरिक्त धाराओं में भी अपराध माना जाएगा।

कानून की नजर में गंभीर अपराध
यह घटना केवल सेवा नियमों का उल्लंघन नहीं, बल्कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं में अपराध है:
धारा 447 – आपराधिक अतिक्रमण
धारा 427 – संपत्ति को नुकसान पहुंचाना
धारा 452 – बलपूर्वक घर/कक्ष में घुसना
धारा 506 – आपराधिक धमकी
धारा 201 – साक्ष्य मिटाने का प्रयास (CCTV फुटेज छेड़छाड़ से जुड़ा)
प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर पुलिस को सौंप दी गई है और एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
माइनॉरिटी संस्था के संवैधानिक अधिकार
छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CDBE) ने कहा है कि यह विद्यालय एक अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित एवं संचालित संस्था है।भारत के संविधान का अनुच्छेद 30(1) अल्पसंख्यक संस्थाओं को अपने शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन करने का पूर्ण अधिकार प्रदान करता है।साथ ही, मध्यप्रदेश शिक्षा संहिता 1973 (छत्तीसगढ़ में लागू) तथा शिक्षा सेवा नियम 1981 के अंतर्गत बिना प्रबंधन की अनुमति कोई भी कर्मचारी अवकाश नहीं ले सकता और न ही प्रशासनिक कार्यों में हस्तक्षेप कर सकता है।
बोर्ड की सख्त प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन की अध्यक्ष, राइट रेव. सुषमा कुमार ने कहा
“विद्यालय में ताला तोड़ना और CCTV फुटेज से छेड़छाड़ करना न केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि संगीन आपराधिक कृत्य है।
शिक्षा के पवित्र वातावरण के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
शिक्षकों और अभिभावकों का आक्रोश
घटना के बाद शिक्षकों और अभिभावकों ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया।
अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा और भविष्य को दांव पर लगाकर इस तरह के अवैधानिक कदम उठाना शिक्षा व्यवस्था पर धब्बा है।
उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।
जांच समिति गठित
प्रबंधन ने इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है, जिसे 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
विदेश यात्रा बिना मैनजमेंट की जानकारी
अगर कोई स्कूल/मिशन या किसी संस्थान के स्टाफ बिना प्रबंधन की अनुमति विदेश यात्रा करता है, तो यह संस्थान के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
इसके निहितार्थ:
अगर यात्रा कार्य संबंधी थी तो पूर्व अनुमोदन जरूरी होता है।
अनधिकृत यात्रा पर संस्थान अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।
वित्तीय या सुरक्षा जिम्मेदारियां भी यात्रा करने वाले व्यक्ति पर होंगी।
अनुमति विदेश जाना सही नहीं है, खासकर अगर वह संस्था/स्कूल से जुड़ा है।
सरकारी एडेड स्कूल के टीचर्स को DEO के माइनॉरिटी इंस्टिट्यूट में डायरेक्ट लीव ग्रांट करना
Govt aided schools के teachers पर नियम अलग हैं
वे सरकारी नियमों के अधीन होते हैं।
किसी तीसरे (जैसे DEO) द्वारा माइनॉरिटी इंस्टिट्यूट में सीधे leave grant करना नियम विरुद्ध हो सकता है।
सही प्रक्रिया:
टीचर अपने संस्थान के प्रबंधन/हेड को आवेदन करता है।
प्रबंधन अपनी अनुमति देता है।
DEO या सरकार केवल संपर्क और रिकॉर्डिंग में मदद कर सकते हैं।
⚠️ अगर DEO सीधे leave grant करता है, तो यह अधिकार और नियम का उल्लंघन माना जा सकता है।
समिति DVR और CCTV रिकॉर्डिंग की भी जांच करेगी
विद्यालय शिक्षा का मंदिर है। वहां जबरन घुसकर ताला तोड़ना और CCTV सबूत मिटाने की कोशिश करना न केवल अनुशासन का उल्लंघन है बल्कि कानून और समाज दोनों के लिए गंभीर चुनौती है। प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि माइनॉरिटी संस्था के संवैधानिक अधिकारों और बच्चों की शिक्षा की रक्षा के लिए दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।







