Chhattisgarh

Chanakya Niti: गरीब नहीं रहना चाहते हैं तो मानें आचार्य चाणक्य की ये बात

Chanakya Niti formula: जीवन में सुखी रहने की चाह हर किसी की होती है लेकिन कई बार गलत तरह से कमाए गए धन की वजह से हम अपनी सुख-शांति का सौदा कर देते हैं। आचार्य चाणक्य कहते हैं धन कमाने के लिए यदि कोई व्यक्ति गलत तरीको का इस्तेमाल कर जल्दी से जल्दी अमीर बनने की इच्छा रखता है तो वह धन उसे गरीब बना देता है। ऐसा धन जितनी जल्दी आता है, उतनी जल्दी खत्म भी हो जाता है। गलत करीके से कमाया गया धन शारीरिक और मानसिक परेशानियां देता है। जीवन में अशांति रहती है लाख कोशिश के बाद भी शांति नहीं मिल पाती।

चाणक्य नीति में लिखे श्लोक के अनुसार- असत्समृद्धिरसद्भिरेव भुज्यते।
भावार्थ : दुष्ट लोग जो धन एकत्र करते हैं वह अनीति कर्मों के द्वारा ही एकत्र किया जाता है। उनके साथ रहने वाले लोग भी दुष्प्रवृत्ति के होते हैं। वे ही उस धन का उपभोग करते हैं और भोग-विलास में पड़कर अपने आपको नष्ट कर लेते हैं। गलत तरीके से कमाया हुआ धन कभी भी शुभ काम में नहीं लग पाता। नीम का फल कौए ही खाते हैं।

चाणक्य नीति में लिखे श्लोक के अनुसार- असत्समृद्धिरसद्भिरेव भुज्यते।
भावार्थ : दुष्ट लोग जो धन एकत्र करते हैं वह अनीति कर्मों के द्वारा ही एकत्र किया जाता है। उनके साथ रहने वाले लोग भी दुष्प्रवृत्ति के होते हैं। वे ही उस धन का उपभोग करते हैं और भोग-विलास में पड़कर अपने आपको नष्ट कर लेते हैं। गलत तरीके से कमाया हुआ धन कभी भी शुभ काम में नहीं लग पाता। नीम का फल कौए ही खाते हैं।

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