घर की दीवारों पर भूल कर भी ना लगाए यह चीजें वरना आए-दिन रहेंगे बीमार
हमें अपने घर की बाहरी दीवारों के लिए हल्के नीले, सफेद, पीले, नारंगी, क्रीम और अन्य हल्के रंगों का उपयोग करना चाहिए लेकिन हर कमरे केरंग और उसकी दीवार को वास्तु के अनुसार चुनना चाहिए क्योंकि रंग हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करते हैं। पर्दे, चादर और तकिये के कवरका रंग दीवारों के रंग के अनुसार होना चाहिए। अगर आप इन छोटी–छोटी बातों पर ध्यान देंगे तो आप अपने जीवन में आने वाली कई समस्याओंसे बच सकते हैं।तो आइए जानते है दीवारों के लिए वास्तु के अनुसार सही रंग के चुनाव के बारे में–
1. उत्तरी दीवार
घर के उत्तर दिशा में जल तत्व का प्रभुत्व होता है। यह धन और लक्ष्मी का भी स्थान है और इसलिए इसे स्वच्छ, पवित्र और खाली रखना चाहिए।वास्तु के अनुसार इसकी सजावट के लिए हल्के हरे रंग या पिस्ता हरे रंग का प्रयोग करना चाहिए। हालाँकि, आप स्काई ब्लू रंग का भी उपयोगकर सकते हैं। इससे आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। यदि यहां किसी भी गहरे रंग का प्रयोग किया जाता है तो इससे न केवल आर्थिकनुकसान होगा बल्कि यह जीवन में कई अन्य कठिनाइयों को भी जन्म दे सकता है। इस दिशा का संबंध वायु से भी है।
2. उत्तर–पूर्व की दीवार
उत्तर–पूर्व को ‘ईशान कोण‘ भी कहा जाता है। इस दिशा में देवताओं का वास होता है। इस दिशा को भगवान शिव की दिशा माना जाता है। इसदिशा में आकाश अधिक खुला रहता है। इस दिशा में दीवारें आसमानी या सफेद या बैंगनी रंग की होनी चाहिए। हालाँकि, पीले रंग का भीउपयोग किया जा सकता है क्योंकि यह देवी–देवताओं का निवास है।
3. पूर्वी दीवार
पूर्वी दीवार सफेद या हल्के नीले रंग में रंगी जा सकती है।
4. दक्षिण–पूर्व की दीवार
घर का दक्षिण–पूर्व भाग अग्नि तत्व के लिए माना जाता है। इस साइड को सजाने के लिए नारंगी, पीले या सफेद रंग का इस्तेमाल किया जासकता है। इसे ‘आगने कोण‘ भी कहा जाता है। यह रसोईघर है।
5. दक्षिणी दीवार
दक्षिण दिशा के लिए नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए। इससे ऊर्जा और उत्साह बना रहेगा। अगर यहां शयनकक्ष है तो गुलाबी रंग का विचारकिया जा सकता है।
6. दक्षिण–पश्चिम की दीवार
दक्षिण–पश्चिम की दीवार या कमरे को ‘नैर्य कोण‘ भी कहा जाता है। यहां ब्राउन, ऑफ–व्हाइट या ग्रीन कलर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
7. पश्चिमी दीवार
पश्चिमी दीवार या कमरे के लिए नीले रंग की सलाह दी जाती है। आप यहां नीले रंग के साथ–साथ थोड़ी मात्रा में सफेद रंग का भी प्रयोग करसकते हैं। इसे ‘वरुणदेव‘ का स्थान भी माना जाता है, जो जल के देवता हैं।