भगवान देख रहे हैं, न्याय होगा… आखिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्यों रो पड़ीं वाईएस शर्मिला?
कांग्रेस नेता वाईएस शर्मिला शनिवार को अपने और अपने भाई आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के बीच चल रहे संपत्ति विवाद के बारे में बोलते हुए रो पड़ीं. विजयवाड़ा में पत्रकारों से बात करते हुए नम आंखों वाली शर्मिला ने कहा कि ईश्वर देख रहा है और न्याय होगा.
वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन रेड्डी और वाईएस शर्मिला अपने दिवंगत पिता और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की कंपनियों और जमीनों सहित संपत्तियों से संबंधित तीखे पारिवारिक विवाद में उलझे हुए हैं.
वाईएस शर्मिला ने YSRCP कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मौजूदा स्थिति के लिए जवाबदेही की मांग की. 2019 के आंध्र विधानसभा चुनावों को याद करते हुए, कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि वाईएसआरसीपी की शानदार जीत (175 में से 151 सीटें हासिल करना) काफी हद तक उनके पिता की विरासत के कारण हासिल हुई थी.
शर्मिला ने कहा कि वाईएसआरसीपी के कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं को मेरे सवालों का जवाब देना चाहिए. 2019 के चुनावों में वाईएसआरसीपी 175 में से 151 सीटों के साथ सत्ता में आई. उन्हें इतना बहुमत कैसे मिला? यह राजशेखर रेड्डी के नाम पर पार्टी का नाम होने के कारण था, जिससे उन्हें जीत मिली.
उन्होंने अपने ‘व्यक्तिगत बलिदानों’ को भी याद किया, पदयात्रा के दौरान अपने समर्पित प्रयासों और वाईएसआरसीपी को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि मैंने और मेरी मां ने चुनाव से पहले अथक परिश्रम किया. हमने वाईएसआरसीपी की सफलता के लिए सबकुछ झोंक दिया.
वाईएसआरसीपी के मौजूदा नेतृत्व पर जताई निराशा
इसके अलावा शर्मिला ने मौजूदा वाईएसआरसीपी नेतृत्व पर गहरी निराशा व्यक्त की, खास तौर पर जगन मोहन रेड्डी के कामों पर सवाल उठाए. उन्होंने चुनौती दी और पूछा कि जगन मोहन रेड्डी ने मेरे लिए क्या किया है? क्या वे इसका जवाब दे सकते हैं? उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके और उनके बच्चों के साथ अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों से मुझे चार दीवारों के भीतर ही सीमित रखा गया है. जगन मोहन रेड्डी ने हमें अदालत में घसीटा. क्या यह उचित है?
आखिर जगन रेड्डी और वाईएस शर्मिला के बीच विवाद क्या है?
जगन मोहन रेड्डी और शर्मिला के बीच प्रतिद्वंद्विता ने उस समय और तीव्र रूप ले लिया जब जगन ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में एक याचिका दायर की, जिसमें दावा किया गया कि सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के शेयर शुरू में शर्मिला को ‘प्यार और स्नेह के कारण’ दिए गए थे, लेकिन बाद में उनके बढ़ते राजनीतिक विरोध के मद्देनजर उन्हें वापस ले लिया गया था.
हालांकि, शर्मिला ने तर्क दिया कि राजनीति में उनके प्रवेश ने इस प्रतिक्रिया को जन्म दिया, उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी भागीदारी केवल ‘पारिवारिक सम्मान और वाईएसआर की विरासत’ को बनाए रखने के लिए थी. प्रतिद्वंद्विता को कमतर आंकने का प्रयास करते हुए जगन ने विवाद को एक सामान्य पारिवारिक मुद्दा बताते हुए इसे घर-घर की कहानी कहा.