नवरात्रि के चौथे दिन ऐसे करें पूजन, प्रसन्न हो जाएंगी मां कूष्मांडा
Shardiya Navratri 2023 : 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. 18 अक्टूबर को नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां कूष्मांडा का पूजन किया जाता है. मां कूष्मांडा संपूर्ण ब्रह्मांण की अधिष्ठात्री देवी हैं. देवी कूष्मांडा की कृपा मात्र से साधक के सभी रोग और शोकों का नाश होता है. इसके साथ ही कई तरह के दोषों से लड़ने की शक्ति मिलती है.
कौन हैं मां कूष्मांडा?
मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है. मां के हाथओं में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सुशोभित है. मान्यता है कि संसार की रचना से पहले जब चारों ओर घना अंधेरा छाया था, तब देवी के इस रूप से ब्रह्मांड का सृजन हुआ था. मां कूष्मांडा का मतलब कुम्हड़ा (जिससे पेठा बनाया जाता है) होता है. कुम्हड़ा की बलि से माता प्रसन्न होती हैं.
ऐसे करें मां कुष्मांडा का पूजन
मां कुष्मांडा की पूजा में पीले रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए. देवी की पूजा करते समय पीला चंदन लगाएं. इसके साथ ही माता को कुमकुम, मौली, अक्षत अर्पित करें.
इन मंत्रों का करें जाप
बीज मंत्र – कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:
पूजा मंत्र – ॐ कूष्माण्डायै नम:
ध्यान मंत्र – वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
कुंवारी लड़कियां करें ये उपाय
पान के एक पत्ते में थोड़ा सा केसर लें और ओम बृं बृहस्पते नमः बोलते हुए मां को अर्पित कर दें. इसके साथ ही ओम कूष्माण्डायै नम: मंत्र की एक माला का जाप करें और दुर्गा सप्तशती या फिर सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का पाठ करें. ऐसा करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.
मां कूष्मांडा को अर्पित करें ये भोग
मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाया जाता है. इससे बुद्धि, यश में वृद्धि होने के साथ ही निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है. इससे रोग नष्ट हो जाते हैं. मालपुए को भोग लगाएं और इसके खुद खाएं व ब्राह्मण को दान दें.
मां की पसंद है यह रंग
मां कूष्मांडा को पीला रंग अति प्रिय है. इस दिन देवी को पूजा में पीले रंग के वस्त्र, पीली चूड़ी और पीली मिठाई अर्पित करनी चाहिए.