पति-पत्नी का क्रिमिनल खेल उजागर: स्कूल कब्ज़ा, फर्जीवाड़ा और धर्मान्तरण तक फैला जाल
पुलिस संरक्षण पर उठ रहे गंभीर सवाल, डायोसिस बोर्ड ने FIR की मांग की

रायपुर / गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CDBE)ने पुलिस और प्रशासन को एक सनसनीखेज शिकायत सौंपी है। इसमें आरोप लगाया गया है कि भवाना अर्थर और उनके पति अतुल अर्थर ने न केवल स्कूल पर जबरन कब्ज़े की कोशिश की, बल्कि भोले-भाले आदिवासियों को बहला-फुसलाकर फर्जीवाड़ा और अवैध गतिविधियों में भी संलिप्त रहे हैं।
फर्जी आदेश और स्कूल पर कब्ज़े का प्रयास
19 सितंबर 2025 को भवाना अर्थर, उनके पति अतुल अर्थर और कुछ सहयोगियों ने फर्जी Registrar आदेश का सहारा लेते हुए गौरेला-बिलासपुर क्षेत्र के एक स्कूल में जबरन प्रवेश किया उन्होंने ताला तोड़ा, स्टाफ को धमकाया और खुद को प्रबंधन समिति का वैध सदस्य बताने की कोशिश की।

डायोसिस बोर्ड ने इस घटना को पूरी तरह पूर्वनियोजित अपराध करार दिया है। पति-पत्नी की चालाकी: कुर्सी और फोटो की लालसा स्थानीय सूत्रों का कहना है कि अतुल अर्थर अपने आप को बेहद चालाक और होशियार समझते हैं, लेकिन उनकी चालों ने उनकी पत्नी भवाना को भी अपराध की दलदल में धकेल दिया।
दोनों का मकसद सिर्फ कुर्सी और प्रचार है।
सूत्रों के अनुसार यह दंपत्ति ग्रामीण आदिवासी अंचल में पैसों का प्रलोभन देकर फोटो व वीडियो बनवाता और उन्हें विदेश भेजकर अवैध धन की उगाही करता था।
धर्मान्तरण से जुड़ा पुराना इतिहास




सूत्रों ने एक और बड़ा खुलासा किया है कि अतुल अर्थर पहले भी पेंड्रा गोरेला क्षेत्र में धर्मान्तरण गतिविधियों के दौरान विरोध का शिकार हो चुके हैं।उनकी कार तक तोड़ दी गई थी और वे मारपीट से बाल-बाल बचे थे। उस समय भी कुछ प्रभावशाली अधिकारियों ने उन्हें बचा लिया था।
अब वही इतिहास दोहराया जा रहा है, लेकिन इस बार शिक्षा संस्थानों पर कब्ज़े की कोशिश के रूप में।
प्रशासन पर सवाल: संरक्षण क्यों?सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले में पुलिस और शिक्षा विभाग की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि
“प्रथम दृष्टि अपराध साफ दिखाई देता है, लेकिन पुलिस कार्रवाई करने के बजाय आरोपियों को संरक्षण दे रही है। यह ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ जैसा दृश्य है।”जब एक तरफ राज्य सरकार धर्मान्तरण रोकने का कानून लाने की तैयारी कर रही है, तो दूसरी ओर अधिकारियों द्वारा ऐसे अपराधियों पर मेहरबानी करना बड़े सवाल खड़े करता है।
IPC की धाराओं में गंभीर अपराध
डायोसिस बोर्ड की शिकायत के अनुसार, यह मामला
IPC 420 (धोखाधड़ी),
IPC 465, 468, 471 (फर्जी दस्तावेज़ बनाना व उपयोग),
IPC 448 (आपराधिक घुसपैठ),
IPC 427 (संपत्ति को नुकसान),
IPC 188 (सरकारी आदेश की अवहेलना),
IPC 506 (धमकी)
जैसी धाराओं के तहत गंभीर आपराधिक श्रेणी में आता है।
डायोसिस बोर्ड का ऐलान
डायोसिस बोर्ड सचिव जयदीप रॉबिनसन ने कहा“यह केवल संस्थान पर अवैध कब्ज़ा नहीं, बल्कि शिक्षा और समाज के विश्वास पर सीधा हमला है। यदि पुलिस FIR दर्ज नहीं करती, तो हम न्यायालय की शरण लेंगे।”
यह मामला केवल स्कूल या प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी, धर्मान्तरण और प्रशासनिक संरक्षण जैसे गहरे अपराध जुड़े हुए हैं।
पुलिस का कर्तव्य है कि वह तत्काल FIR दर्ज कर निष्पक्ष जांच करे, न कि अपराधियों को संरक्षण दे।









