Mennonite church: किशोर बाघ के कारनामे पार्ट 3, धार्मिक क्षेत्रों में भी कर रहे अपनी गंदी राजनीति
सराईपाली। धर्म की आड़ में अपनी जेब भरने वाले किशोर बाघ के अतरंगी कारनामों से लगातार हम आपको अवगत करा रहे हैं। किस तरह उन्होंने शासकीय जमीन को बेचकर अपनी जेब भरने का काम किया और किस तरह उन्होंने और उनके साथियों ने मिलकर मानवता की सारी हदें पार कर दी। इसी कड़ी में अब एक और जानकारी किशोर बाघ के खिलाफ निकल कर सामने आ रही है। किशोर बाघ मेनोंनाइट संस्था की सामाजिक व धार्मिक क्षेत्रों में भी अपनी गंदी राजनीति निरंतर चला रहे हैं।
किसी भी संविधान में इस बात का उल्लेख नहीं किया गया है कि, कोई भी व्यक्ति अपने धर्म के लोगों से ही दोस्ती करें या उनसे ही उनका पारिवारिक नाता हो। लेकिन यहां पर किशोर बाघ द्वारा स्वयं निर्मित किए गए संविधान में मसीह समाज के लोगों को दूसरे जातियों से बात करने, उनके घर जाने या उनके किसी समारोह में भाग लेने पर भी रोक लगाई गई है।
मिली जानकारी के मुताबिक किशोर बाघ द्वारा चर्च के सदस्यों द्वारा अगर किसी कलीसियाओं में शादी व उनसे संगति करने पर उन्हें चर्च से बाहर कर दिया जाता है और जब तक माफी लिखित में पास्टर को नही दिया जाता है,तब तक उन्हें प्रभुभोज भी नही दिया जाता है। प्रभु भोज में सभी का समान अधिकार होता है लेकिन, इसमें भी किशोर बाघ अपनी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे। समाज के लोगों को प्रभु भोज ना देकर ना सिर्फ उनके आस्थाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है बल्कि उनसे उनका हक भी छीना जा रहा है।
इसके अलावा यदि किसी परिवार के एक सदस्य से गलती हो रही है या समाज का कोई एक व्यक्ति किसी अन्य जाति से विवाह कर रहा है तो, इसकी सजा पूरे परिवार को दी जाती है। उनके पूरे परीवार को चर्च सदस्यता से बाहर कर दिया जाता है। और सजा के तौर पर तीन रविवार तक पूरा परीवार चर्च में सबसे सामने जमीन पर बैठेंगे और समाज के सामने लिखित व मौखिक रूप से माफी मांगेंगे। इस दौरान पूरे परीवार को प्रभुभोज भी नही दिया जाता है।
कई सीनियर व अनुभवी पास्टरो की छोटी छोटी गलतियों के कारण किशोर बाघ द्वारा उनकी सेवा समाप्त कर दिया गया। उन्हें मेनोंनाइट संस्था से बाहर कर दिया गया। वहीं अगर किशोर बाघ को अपनी राजनीतिक पद पर खतरा व असुरक्षा महसूस होता है तो उन्हें मंडली की गंदी राजनीति में फसाकर उन्हें पद से अलग किया जाता है।
पूरी कलीसिया सदस्यों को इनके परीवार के किसी भी सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमो में शामिल होने से मना किया जाता है।
मंडली सदस्यों द्वारा छोटी छोटी गलतिया करने पर उन्हें सजा दिया जाता है, उनके भावनाओं को ठेस पहुचाया जाता है। लंबे समय तक उन्हें मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है एवम उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुचाकर उन्हें अपमानित किया जाता है। उनको मानसिक प्रताड़ना से जूझने में मजबूर किया जाता है।ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि क्या यही मेनोंनाइट संस्था का नियम है? जो किशोर बाघ द्वारा इस तरह से अपना व्यक्तिगत विचार सामाजिक लोगों पर थोपा जा रहा है।
मेनोंनाइट की हर मंडली में यही स्थिति है,अनुभवी व उच्च शिक्षत
सदस्यों को कलीसिया से लंबे समय तक बाहर रखा गया है। क्यो??
किशोर बाग के इन सारे कृतियों को देखकर तो अब यही लगता है कि यह और उनके साथ ही नहीं चाहते कि संस्था का विकास हो,प्रगति कार्य हो। क्योंकि अगर यह संस्था का विकास चाहते तो जितनी प्रॉपर्टी इन्होंने बेची है उस राशि से यह बच्चों व युवाओं के लिए नए प्रोजेक्ट व ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत कर सकते थे।
सूत्रों की माने तो किशोर बाघ व उनके साथियों ने मिलकर बड़े -बड़े अपराध व गलतियां की है। सामाजिक लोग पर इस तरह अपना हुकूमत चलाने वाले किशोर बाघ और उनके साथियों पर यदि कार्यवाई की जाय और कड़ाई से उनसे पूछताछ हो तो इनके द्वारा किए गए सारे कारनामों का चिट्ठा खुद-ब-खुद खुल जाएगा। सामाजिक लोगों की मांग है कि जिस तरह से उन्हें अध्यक्ष किशोर बाघ के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई हो ताकि उन्हें प्रभु की आराधना व प्रभुभोज से वंचित ना किया जा सके।