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किशोर बाघ ने 5 हजार रुपयों के लिए कि मानवता की सारी हदें पार, 48 घंटे तक पड़ा रहा शव

सराईपाली। संस्था की आवश्यकता की बात कह शासकीय जमीनों का बंदरबांट कर अपनी जेब भरने वाले अध्यक्ष किशोर बाघ और सचिव अनिमेष बढ़ई का भ्रष्टाचार केवल यही तक सीमित नहीं है बल्कि, इनके काले करतूतों की गठरी इससे कहीं ज्यादा भरी हुई है।

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दरअसल कुछ दिनों पहले बसना और जगदीशपुर के लोगों द्वारा नाम ना बताने के एवज में हमारे न्यूज़ चैनल में चर्च के अध्यक्ष के खिलाफ शिकायत की गई थी। जिसके बाद हमारी टीम जगदीशपुर, बसना और सरायपाली के लिए रवाना हुए और वहां जाकर लोगों से बातचीत की। इस दौरान तीनों जगह के लोगों ने एक स्वर में किशोर बाघ और अनिमेष बढ़ाई के काली करतूतों का बखान करते हुए शासकीय जमीनों का बंदरबांट करने का आरोप लगाया। जब हमारी टीम ने उनसे और अधिक जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने हमारी टीम के सामने नाम उजागर नहीं करने की शर्त रखी।

लेकिन नाम उजागर नहीं करने के पीछे का जो कारण उन्होंने बताया वह बहुत ही हैरत में डालने वाला था। वहीं सूत्रों के अनुसार भी दरअसल कुछ साल पहले मसीह समाज में किसी की मौत हो गई थी। जिसके बाद जब उनके परिजन उन्हें मिट्टी देने कब्रिस्तान ले कर गए, उस दौरान अध्यक्ष किशोर बाघ और उनके कुछ करीबियों ने 5 हजार रुपयों की मांग की। शोकाकुल परिवार उस समय ऐसी मनोस्थिति में नहीं था।

कब्रिस्तान

उन्होंने बार-बार अपने परिजन के शव को मिट्टी देने के लिए अध्यक्ष से आग्रह किया। लेकिन किशोर बाघ के लोग अपनी बात से टस से मस न हुए और 48 घंटों तक शव वैसे ही पड़ा रहा। इस दौरान पीड़ित परिवार के लोगों ने थाने में शिकायत की तो यहां पर भी अध्यक्ष किशोर बाघ ने बड़ी चतुराई से जमीन मसीह समाज को आवंटित के सामने मैनोनाइट शब्द जोड़ दिया। जिसके बाद पुलिस ने कोई मदद नहीं की।

इसके बाद पीड़ित परिवार ने एसडीएम से गुहार लगाई। तब एसडीएम के हस्तक्षेप से यह बात सामने आई कि यह जमीन शासकीय है इसे व्यक्तिगत किसी एक चर्च के नाम पर आवंटित नहीं किया गया है। तब जाकर 48 घंटे के बाद पीड़ित परिवार को अपने परिजन को मिट्टी देने का मौका मिला।

मानवता की सारी हदें पार करने वाले अध्यक्ष किशोर बाघ की इस शर्मनाक कृत्य ने इतना तो स्पष्ट कर दिया है कि किशोर बाघ पैसों की लालच में किसी की भावनाओं को भी ताक पर रख सकते हैं।

लोगों की यह बात सुन जब हमारी टीम ने उन्हें नाम नहीं उजागर करने का आश्वासन दिया, तब लोगों ने एक के बाद एक किशोर बाघ और अनिमेष बढ़ाई के पोल खोल दिए। वहीं सूत्रों ने बताया कि जिस तरह मैंनोनाईट चर्च के पीछे की जगहों को संस्था की आवश्यकता के लिए बेचने की बात अध्यक्ष ने कही थी उन जमीनों को बेचने पर मिलने वाले पैसों से संस्था के लिए कोई काम तो नहीं हुआ बल्कि, उन्होंने अपनी जी हुजूरी करने वाले लोगों को आपस में बैठाकर जमीनों की बोली लगाई और औने पौने दाम में जगहों को बेच अपना जेब भर लिया और अब रास्ता देने के एवज में भी वहां बसे लोगों से पैसों की मांग कर रहे हैं।

रास्ते के लिए लगाए गए पिल्हर

जिसमें कुछ लोगों ने पैसे देने से इनकार किया तो उन्हें ना तो पैसे वापस किए गए ना तो जगह दी गई। इसके अलावा सूत्रों की माने तो मैनोनाइट चर्च के बाजू में लगे एक मिशन बंगले को अध्यक्ष किशोर बाघ ने अपने एक भाई को दे दिया।

मिशन बंगला

तो वही चर्च के पीछे स्थित लाल बंगले को अपने एक भाई के लिए सुरक्षित कर रखा है। जगह बेचने तब तो ठीक था लेकिन अध्यक्ष किशोर बाघ इतनी गर्त में उतर आए कि उन्होंने पेड़ों को भी बेचना शुरू कर दिया और पेड़ों की भी कीमत लगाकर उन्हें बेचकर अपनी जेब भर रहे हैं।

अब सवाल यह उठता है कि जिन जगहों को मिशनरियों ने सेवाभावी संस्था बनाने के लिए अपने मसीह समाज के लिए छोड़ दिया था आखिर वह जमीन इनकी व्यक्तिगत कैसे हो गई?

दूसरी बात यह कि लिज में दिए जमीन को सब लीज नहीं किया जाता तो आखिर किसके दम पर किशोर बाघ अपनी मनमर्जी कर जमीनों को औने पौने रेट में बेचकर और सब लीज में जमीनों को देकर पैसे बटोरने का काम कर रहे हैं?

जितनी जमीने किशोर बाघ ने बेची है इन सब की जानकारी क्या कलेक्टर को है?

और यदि सूत्रों की माने तो जब यह जमीन वाकई इनकी व्यक्तिगत है तो 2 लोगों के नाम पर रजिस्ट्री रायपुर में आकर क्यों करवाई गई?

यह बहुत सारे ऐसे सवाल हैं जो किशोर बाघ द्वारा किए गए घोटाले को उजागर करने के लिए काफी हैं।
किशोर बाघ और अनिमेष बढ़ाई के ऐसे और भी कई सारे कारनामे हैं जो परत दर परत खुलते जाएंगे।

Nitin Lawrence

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