
रायपुर/गौरेला-पेंड्रा-मरवाही।छत्तीसगढ़ में शिक्षा जगत से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। मिशन स्कूल गौरेला-पेंड्रा के प्रभारी प्राचार्य पर फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के सनसनीखेज आरोप लगे हैं।
छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन (CDBE) ने जिला पुलिस अधीक्षक को एक विस्तृत प्रतिवेदन सौंपते हुए कहा है कि संबंधित प्रभारी ने—
• प्रबंधन को धोखे में रखकर पद का लाभ उठाया,
• शासन (DEO) को गुमराह किया,
• पासपोर्ट और वीज़ा दस्तावेज़ों का कथित दुरुपयोग किया,
• और संस्थान व बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुँचाया।
गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करने की माँग
CDBE ने स्पष्ट कहा है कि यह पूरा मामला भारतीय दंड संहिता की धाराओं 409 (विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (कूटरचित दस्तावेज़ का उपयोग) और 120B (आपराधिक साज़िश) के अंतर्गत अपराध बनता है। साथ ही पासपोर्ट अधिनियम 1967 के उल्लंघन की भी संभावना जताई गई है।
राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू भी जुड़ा
CDBE ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि बिना वैध अनुमति विदेश यात्रा करना केवल संस्थान के नियमों के खिलाफ नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से भी खतरनाक है।
इसके अलावा आरोप लगाया गया है कि प्रभारी की पत्नी द्वारा संचालित संस्था “मेरी आशा” के खातों और लेन-देन की जाँच भी की जानी चाहिए। बोर्ड का दावा है कि यहाँ विदेशी फंडिंग और संदिग्ध आर्थिक गतिविधियों के संकेत मिल रहे हैं।
CDBE की माँगें
• CrPC 154 के तहत तुरंत FIR दर्ज की जाए।
• पासपोर्ट और वीज़ा दस्तावेज़ों की सुरक्षा एजेंसियों से जाँच हो।
• “मेरी आशा” संस्था के खातों और वित्तीय लेन-देन की फोरेंसिक जाँच की जाए।
• पूरे मामले की राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से गहन जाँच कराई जाए।
बच्चों का भरोसा टूटा
CDBE सचिव जयदीप रॉबिनसन ने कहा,
“शिक्षा का मंदिर, व्यक्तिगत स्वार्थ का अड्डा नहीं बन सकता। बच्चों और अभिभावकों के भरोसे से खिलवाड़ हुआ है। यह मामला केवल संस्थान का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज के भविष्य से जुड़ा है।”









