National

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ लोकसभा में पेश, कांग्रेस और सपा ने बिल को संविधान के खिलाफ बताया

दिल्ली। आज संसद के शीतकालीन सत्र के 17वें दिन सरकार ने लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ (वन नेशन, वन इलेक्शन) विधेयक पेश किया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पेश किया, जो 129वें संविधान संशोधन से संबंधित है। इस विधेयक को 12 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी थी। सूत्रों के अनुसार, इसे संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) में भेजे जाने की संभावना है, ताकि इस पर और चर्चा की जा सके।

सहयोगी दलों का समर्थन, विपक्ष का विरोध
भाजपा और शिवसेना ने विधेयक पर अपनी सहमति जताते हुए सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोगी दल सरकार और विधेयक के समर्थन में खड़े हैं।

विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह विधेयक असल मुद्दों से ध्यान हटाने का एक प्रयास है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस विधेयक को संविधान के मूल ढांचे पर हमला बताया है।

हम बिल पूरा समर्थन करते हैं- जेडीयू
वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर जेडीयू सांसद संजय कुमार झा ने कहा, “हमने कहा था कि हम इसका पूरा समर्थन करते हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए। पंचायत चुनाव अलग-अलग होने चाहिए। जब ​​इस देश में चुनाव शुरू हुए थे, तब वन नेशन वन इलेक्शन था। यह कोई नई बात नहीं है। विसंगतियां तब शुरू हुईं, जब 1967 में कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाना शुरू किया। इसलिए हम इसका समर्थन करते हैं। सरकार हमेशा चुनाव मोड में रहती है। खर्चा बहुत है।”

विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को अपना विरोध दर्ज कराते हुए तर्क दिया कि “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विधेयक संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। तिवारी ने कहा कि यह विधेयक केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संतुलन को बिगाड़ देगा और भारत की संघीय व्यवस्था को कमजोर करेगा। विधेयक के बारे में बोलते हुए तिवारी ने कहा, “यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। भारत राज्यों का संघ है, इसलिए आप मनमाने ढंग से राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को कम नहीं कर सकते।”

टीएमसी ने किया विरोध
टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ने भी इस विधेयक का विरोध किया। पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी ने इसे संविधान के ढांचे पर हमला करार दिया। उन्होंने कहा, “राज्यों की विधानसभा, केंद्र के अधीन नहीं हो सकती। यह चुनाव सुधार नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की जिद है।”

संघीय ढांचे को समाप्त करने का प्रयास- सपा
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने इस विधेयक को निरर्थक बताया। उन्होंने कहा कि जब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जाता कि किसी भी परिस्थिति में सदन अगले पांच साल तक भंग न हो, तब तक इस विधेयक से कोई लाभ नहीं होगा। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह विधेयक संविधान की मूल भावना पर हमला है और संघीय ढांचे को समाप्त करने का प्रयास है।

ये सिर्फ़ ध्यान भटकाने वाली बातें हैं- अकाली दल
वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, “ये सिर्फ़ ध्यान भटकाने वाली बातें हैं। जिन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, लोगों के मुद्दे – उन मुद्दों पर बात नहीं होती। न तो सरकार और न ही कांग्रेस सदन चलाना चाहती है। वन नेशन वन इलेक्शन से किसे खाना मिलेगा? किसे नौकरी मिलेगी? कौन सा किसान मुद्दा हल होगा? इससे लोगों को क्या फ़ायदा होगा?”

Desk idp24

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!