स्कूल थप्पड़ कांड : बच्चे के साथ ऐसा होना गलत, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट, जानें क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर में शिक्षिका के निर्देश पर एक छात्र को साथी छात्रों द्वारा कथित तौर पर थप्पड़ मारने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जो घटना घटी है, उससे राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया की मामले की जांच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त किया जाए।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए आईपीएस अधिकारी को शीर्ष अदालत में एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार से कहा कि वह पीड़िता और मामले में शामिल अन्य छात्रों की पेशेवर परामर्शदाताओं से काउंसिलिंग कराएं। अदालत ने कहा कि राज्य की सरकार बच्चे से उसी स्कूल में पढ़ाई जारी रखने की उम्मीद नहीं कर सकता है।
चार सप्ताह के अंदर पेश करें रिपोर्ट
पीठ ने इस घटना को ‘गंभीर’ बताते हुए राज्य सरकार से राज्यभर के स्कूलों में आरटीई कानून लागू करने पर चार सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि घटना की जांच के लिए एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को नियुक्त करें। उसके बाद, नियुक्त वरिष्ठ अधिकारी अदालत के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करे।
ये था पूरा मामला
खुब्बापुर गांव के स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर 24 अगस्त को अल्पसंख्यक समुदाय के यूकेजी के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। प्रकरण के दौरान पीड़ित छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना लिया था। वीडियो के वायरल होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आने लगीं और शिक्षिका की गिरफ्तार की मांग उठने लगी। आरोपी शिक्षिका पर केस दर्ज हो चुका है। वहीं, इस संबंध में राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल को नोटिस भी भेजा था।