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भोपाल। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में छोटे दल भी अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। कांग्रेस-भाजपा चुनाव में जीत की रणनीति बनाने के साथ उम्मीदवारों के चयन में लगे हैं तो दूसरी ओर सपा-बसपा भी उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया से गुजर रही है तो आदिवासी युवाओं के बीच काम करने वाला संगठन जयस उन क्षेत्रों पर नजर गड़ाए हुए हैं जहां आदिवासी वोटरों की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा तेलंगाना का सत्ताधारी दल भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी चुनाव में हाथ आजमाने की तैयारी में है।
साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां तेज चली रही है। सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने जहां 39 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जबकि कांग्रेस संभावितों के बायोडाटा को खंगाल रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी ने भी उम्मीदवारों के ऐलान का सिलसिला भी शुरू कर दिया है। वैसे तो एमपी के चुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस-भाजपा के बीच ही होता है। लेकिन कई बार बहुजन समाज पार्टी-समाजवादी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी प्रदेश में अपनी ताकत का एहसास भी करवा चुकी है। आम आदमी पार्टी भी उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया से गुजर रही है तो आदिवासी युवाओं के बीच काम करने वाला संगठन जयस उन क्षेत्रों पर नजर गड़ाए हुए हैं जहां आदिवासी वोटरों की संख्या ज्यादा है।
AAP के अलावा ये दल भी मैदान में
सपा-बसपा और आम आदमी पार्टी के बाद तेलंगाना का सत्ताधारी दल भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) एमपी चुनाव में हाथ आजमाने की तैयारी में है। बीआरएस में राज्य के कई नेता शामिल हो रहे हैं। हाल ही में व्यापम घोटाले के व्हिसल ब्लोअर और सेवा से बर्खास्त चल रहे डॉ आनंद राय बीआरएस में शामिल हुए। राय अब तक आदिवासियों के संगठन जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) से जुड़े थे, लेकिन अब वे बीआरएस में शामिल हो गए हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश से नाता रखने वाले पूर्व सांसद बुद्धसेन पटेल अपने कई साथियों के साथ बीआरएस का दामन थाम चुके हैं। बीआरएस का राज्य में फिलहाल कोई संगठन नहीं है। पार्टी की नजर ऐसे नेताओं पर है जो अपने मौजूदा दल में संतुष्ट नहीं हैं।
मध्यप्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें है, जिनमें से कांग्रेस का 96 पर कब्जा है, वहीं भाजपा के पास 127 है, इसके अलावा बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी, लेकिन 2020 में राज्य में सियासी उलटफेर के बाद बीजेपी की सरकार बनी थी।