सराईपाली। किसी भी धर्म से जुड़े संस्था के उच्च पद पर आसीन व्यक्ति का काम अपने समाज के लोगों को सच्चाई का दर्पण दिखाना और अच्छाई के रास्ते पर चलने की सीख देना है। लेकिन, अगर उस पद में आते ही व्यक्ति केवल अपनी जेब भरने पर उतारू हो तो ज्यादा दिन तक वह अपने इस बेबुनियाद मकसद में कामयाब नहीं हो सकते। कहते हैं ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होता लेकिन,जब पड़ता है तो अच्छे अच्छों के होश ठिकाने लग जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ सराईपाली के मेनॉनेट चर्च के अध्यक्ष किशोर बाघ के साथ! जिनके अपराधों का घड़ा इस हद तक भर चुका था कि उन्हें धरती पर लाने के लिए संस्था से जुड़े लोगों ने भी पहल की।
सरायपाली के मेनोनाइट चर्च को शासकीय पट्टे पर प्राप्त जमीन व संस्था की जमीन पर लग रहे बंदर बांट के आरोपों के बाद अधिवेशन के चुनाव में किशोर बाघ अपनी जीत नहीं दर्ज कर पाए। हालांकि अध्यक्ष बनने के लिए किशोर बाघ ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। लेकिन किशोर बाघ अब संस्था के सचिव बन कर रह गए।
बता दें,भारतीय जनरल कॉन्फ्रेंस मेनोनाइट चर्च 100 वर्ष पुरानी एक पंजीकृत मसीही संस्था है जो सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ व पश्चिम उड़िसा में 29 घटक मण्डलियों के रूप में स्थापित होकर संचालित हो रही है। पूर्व में इस संस्था के डीकन प्रेम किशोर बाघ अध्यक्ष रहे हैं, जिन्होंने विगत 30 वर्षों से इस संस्था में विभिन्न पदों में रहकर अपना कार्य किया है। लेकिन सच्चाई उजागर होने के बाद वह में जी रहे संस्था के लोगों ने हिम्मत जुटाकर किशोर बाघ को उनकी वास्तविकता दिखा दी।
बता दें idp24 न्यूज धर्म की आड़ में अपनी जेब भरने वाले किशोर बाघ के अतरंगी कारनामो से लगातार आपको अवगत करा रहे हैं। किस तरह उन्होंने शासकीय जमीन को बेचकर अपनी जेब भरने का काम किया और किस तरह उन्होंने और उनके साथियों ने मिलकर मानवता की सारी हदें पार कर दी।
मेनोनाइट संस्था के नियमों से उलट किशोर बाघ ने अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपना एक अलग ही नियम कानून बना लिया जिसमें, उन्होंने पूरे नियमों की धज्जियां उड़ा दी। संस्था पर एक छत्र राज्य चलाने वाले किशोर बाघ और उनके साथियों द्वारा संस्था के लोगों को हर स्तर से प्रताड़ित किया गया है। कब्रिस्तान पर लोगों को पैसा नहीं देने पर मिट्टी तक नहीं देने दिया जाता था। एक पीड़ित परिवार ने इस बात की जानकारी देते हुए हमारे चैनल को बताया कि किस तरह 5000 नहीं देने पर उन्हें अपने परिजन के शव को कब्रिस्तान में 24 घंटे तक रखना पड़ा। जिसके बाद तत्कालीन एसडीएम के हस्तक्षेप से परिवार के सदस्यों को अपने परिजन को मिट्टी देने की अनुमति मिली।
अगर सूत्रों की बात करें तो किशोर बाघ और उनके साथियों द्वारा कई सीनियर व अनुभवी पास्टरो को छोटी छोटी गलतियों के कारण उनकी सेवा समाप्त कर दिया गया। उन्हें मेनोंनाइट संस्था से बाहर कर दिया गया। यदि किसी परीवार के बेटे की शादी हिन्दू लड़की से हो जाता तो उन्हें भी प्रभु बहुत से वंचित कर दिया जाता है। इसके अलावा यदि किसी मंडली सदस्यों द्वारा इनकी राजनीतिक पद पर खतरा व असुरक्षा महसूस होता है तो उन्हें मंडली की गंदी राजनीति में फसाकर उन्हें पद से अलग किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पूरी कलीसिया सदस्यों को इनके परीवार के किसी भी सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमो में शामिल होने से मना किया जाता है। उनकी सजा यही होती है कि तीन रविवार तक पूरा परीवार चर्च में सबसे सामने जमीन पर बैठेंगे ,समाज के सामने लिखित व मौखिक रूप से माफी मांगेंगे,पूरे परीवार को प्रभुभोज भी नही दिया जाता है।
किशोर बाघ के इन सभी अनैतिक गतिविधियों को देखते हुए आखिरकार मंडली के सदस्यों ने जागरूक होकर किशोर बाघ के खिलाफ जो कदम उठाया वह किशोर बाघ को यह समझाने के लिए काफी है कि अगर मंडल के सभी सदस्य एक हो जाएं तो किशोर बाघ द्वारा धर्म के नाम पर करने वाली गंदी राजनीति पर भी रोक लगाने की सदस्य ताकत रखते हैं।