BalodChhattisgarh

जानिए अनोखी परंपरा की कहानी..!! छत्तीसगढ़ में बेटी के दहेज में मिलते हैं 9 सांप

 बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के सिवनी गांव में एक अनोखी परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। इस परंपरा के तहत, यहां के सपेरे अपनी बेटी की शादी में दहेज के रूप में 9 सांप देते हैं। यह परंपरा न केवल इस समुदाय की विशिष्टता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि इनका जीवन और आजीविका पूरी तरह से सांपों पर निर्भर है।

 सपेरे और सांपों का गहरा रिश्ता-

सिवनी गांव में दो दर्जन से अधिक सपेरों के परिवार रहते हैं, जो सांप पकड़ने और उन्हें संभालने का काम पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। ये परिवार हर साल छह महीने के लिए अपने घरों से दूर निकलते हैं, और इस दौरान वे अपनी आजीविका के लिए जगह-जगह सांप पकड़ते हैं। अगर ये ऐसा नहीं करते, तो इन्हें अपने समुदाय से बाहर कर दिया जाता है।

दहेज में सांप देने की परंपरा-

सपेरे अपनी बेटी के विवाह में 9 प्रकार के सांप दहेज के रूप में देते हैं। इन सांपों को दूल्हे के परिवार को सौंपा जाता है ताकि वे इन्हें गांव-गांव में दिखाकर अपनी आजीविका कमा सकें। सपेरों के लिए सांप न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि यह उनके जीवनयापन का प्रमुख साधन भी हैं।

नाग पंचमी का महत्व-

नाग पंचमी का त्योहार सपेरों के जीवन में विशेष महत्व रखता है। इस दिन, सपेरे सुबह से जंगलों में जाकर जड़ी-बूटी लाते हैं, जो सांपों के जहर से बचाव के लिए उपयोगी होती है। इसके बाद, शाम को वे विधि-विधान से सांपों की पूजा करते हैं और नाचते-गाते हुए त्योहार मनाते हैं।

पूर्वजों से सीखी कला-

इन सपेरों की सांप पकड़ने की कला किसी स्कूल या प्रशिक्षण से नहीं, बल्कि पूर्वजों से मिली है। यह कला और परंपरा इनकी जिंदगी का हिस्सा है, जिसे वे आज भी निभा रहे हैं। घरों में सांप निकलने की सूचना मिलते ही ये सपेरे तत्काल वहां पहुंचते हैं और सांपों का रेस्क्यू करते हैं।

 इस परंपरा और जीवनशैली की कहानी इस बात का प्रमाण है कि कैसे कुछ समुदाय अपनी सांस्कृतिक धरोहर को पीढ़ियों तक बनाए रखते हैं। छत्तीसगढ़ के इन सपेरों का जीवन और उनकी परंपराएं वास्तव में अनोखी और दिलचस्प हैं।

Desk idp24

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!