उद्योगो के लिए जी का जंजाल बने रायगढ़ की सीमा पर स्थित ढाबे
उद्योगों के लिय जी का जंजाल बने रायगढ़ की सीमा स्थित ढाबे ।उद्योगों को लगा रहे हैं हर रोज लाखो का फटका रायगढ़ शहर एक औद्योगिक शहर है,यहां 100 से ज्यादा छोटे बड़े स्टील उद्योग हैं। पर इन दिनों स्टील और आयरन उद्योगो की दशा कुछ ठीक नहीं चल रही है। कारण हैं रायगढ़ शहर की सीमा में स्थित ढाबे । लोगो को शायद यह अजीब लगे पर बात सच है ।हकीकत यह की स्टील उद्योगों को कच्चे माल के रूप में कोयले और आयरन ओर की जरूरत पड़ती है जो की ट्रांसपोर्ट के रूप में ट्रकों और ट्रैलरो से प्लांट तक पहुंचता है । गोदाम से ले जाने और प्लांट के बीच में लालची ट्रक ड्राइवरों के वजह से इन ढाबों में कोयला और आयरन ओर का कुछ हिस्सा बेच दिया जाता है। कोयले को बेचकर उसकी जगह चारकोल मिला दिया जाता है आयरन ओर को बेचकर उसकी जगह लाल मिट्टी मिला दी जाती है और इन दोनो चीजों को खरीदते है इन ढाबों के मालिक। कोयले में मिलावट कर के लगभग 2500 रुपया टन में और आयरन ओर में मिलावट कर के 3000 रुपया टन में उद्योगों को बेचा जाता है।खराब क्वालिटी का आयरन ओर और कोयला यूज करने से उद्योगों को मशीनरी सहित प्रोडक्शन में नुकसान उठाना पड़ता है। यहां सोचने वाली बात यह है की खनिज विभाग समय समय पर उद्योगों के खनिज के स्टॉक की जांच तो करता है पर इसी रास्ते में इन ढाबों पर उसकी नजर नहीं पड़ती । और पुलिस विभाग को इस घटना से कोई मतलब नहीं है। बेचारे उद्योग के मालिक जाएं तो जाएं कहां। प्रशासन की लापरवाही का आलम ये है की सरकार को टैक्स के रूप में भारी भरकम राशि देने वाले स्टील प्लांट के उद्योगपति सही दाम में मिलावटी कच्चा माल लेने पर मजबूर हैं।