ISBT बना रंगदारों का अड्डा, खौफ में यात्री, निगम अवैध वसूली करने में व्यस्त
रायपुर। स्मार्ट सिटी बनाने और वाहवाही बटोरने के उद्देश्य से सीएम भूपेश बघेल ने मेट्रो सिटी की तर्ज पर आईएसबीटी का निर्माण तो कर दिया और यात्रियों को सुविधा देने की बात कह कर खूब तालियां भी बजवा ली, लेकिन आलम यह है कि यात्रियों को सुविधा तो नहीं मिल रही लेकिन हॉकरों और अवैध वसूली करने वालों की गुंडागर्दी का सामना जरूर करना पड़ रहा है। हर चमकती चीज सोना नहीं होती ठीक इसी प्रकार बाहर से भव्य दिखने वाले इस बस टर्मिनल में हजारों यात्रियों के लिए केवल एक बाथरूम की व्यवस्था है और वह भी लचर स्थिति में आ गई है।
इस बस टर्मिनल को भव्य दिखाने के लिए जितने भी पैसे लगे हैं वह आम जनता के ही हैं ऐसे में किसी को इस चीज से फर्क ही नहीं पड़ता। जब यह बस टर्मिनल बन रहा था उसी समय से इसकी हालत बता रही थी इसके ईंटों में भी भ्रष्टाचार की मिलावट है। दीवारों पर दिख रही दरारें इस बात को बयां कर रही थी कि सही मात्रा में ठेकेदार ने मटेरियल उपयोग नहीं किया है, तो वही बरसात के दिनों में टपकते हुए छत ने ठेकेदार के इस खानापूर्ति रवैया पर मुहर लगा दी। और अगर बात की जाए साफ सफाई की तो इस बस टर्मिनल से ज्यादा सफाई तो सड़कों पर नजर आ रही है। हालांकि प्रदेश सरकार ने साफ सफाई का जिम्मा इंदौर की कंपनी ह्यूमन मैट्रिक सिक्योरिटी (HMS) को सौंपा था लेकिन, यह कंपनी भी केवल खानापूर्ति करने का काम कर रही है।
अवैध धंधों का खुला पिटारा
अगर आपको बहुत सारे अवैध कार्य एक साथ देखने हैं तो आईएसबीटी जा कर देखिए। जहां ना कोई नियम है ना कोई कानून! पूरा बस स्टैंड अवैध कार्यों से घिरा हुआ है। हालांकि ऐसे अपराधों के लिए आम आदमियों के लिए बकायदा सजा का प्रावधान है। लेकिन, जब इसमें सरकारी तंत्र भी शामिल हो तो फिर सजा तो दूर की बात आवाज भी उठाने की जहमत कोई नहीं कर सकता। यही कारण है कि आईएसबीटी में खुलेआम जुआ सट्टा चल रहा है। वहीं अवैध नशीले पदार्थों की खरीदी बिक्री भी हो रही है। पर लगाम लगाने वाले खुद इन कार्यों में संलिप्त हैं।
हॉकरों की गुंडागर्दी यात्रियों से करते हैं छीना झपटी
जब से आईएसबीटी की शुरुआत हुई है तब से यात्रियों की मुसीबतें कम ही नहीं हो रही। हॉकर अपने-अपने पसंदीदा बस ट्रैवलर्स के बसों में यात्रा करने के लिए यात्रियों पर दबाव बनाते हैं और यात्री द्वारा मना करने पर उनका सामान छीन कर जबरन उन्हें डरा धमका कर अपने ट्रैवल एजेंट के बस में यात्रा करने के लिए परेशान करते हैं। वहीं सूत्रों की मानें तो अधिकतर हॉकर यात्रियों को महिंद्रा सर्विस की जीवन बस में सफर करने के लिए तंग करते हैं और जबरदस्ती यात्रियों का सामान छीन कर उनसे मारपीट कर जीवन बस ऑफिस में ले जाकर अपने बस का टिकट खरीदवाते हैं।
निगम कर रहा अवैध वसूली
बुकिंग एजेंट यात्रियों को जो टिकट काट कर देते हैं वह भी पूरी तरह से अवैध है। क्योंकि उनके पास ना हीं निगम द्वारा जारी किया गया कोई गुमास्ता है और ना ही परिवहन विभाग की ओर से जारी लाइसेंस! सरकार कांग्रेस की हो तो ऐसे में उनके कार्यकर्ताओं को इन चीजों की कोई जरूरत ही नहीं। उनके पास अवैध काम करने का भरपूर लाइसेंस होता है। क्योंकि जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इन बुकिंग एजेंटों में एक व्यक्ति ऐसा भी है जो नगर निगम के अध्यक्ष का भाई है। ऐसे में तो सवाल ही नहीं पैदा होता गुमास्ता या लाइसेंस का।
इसके साथ ही नगर निगम स्वयं अपने दबंगों को बस टर्मिनल में खड़ा कर जबरन वसूली में जुट गया है। एक तरफ अवैध पार्किंग स्थल बनाकर कुछ गुंडे यात्रियों से बाइक पार्किंग का 5 रुपये शुल्क की जगह 10 रुपये वसूल रहे हैं। तो वहीं नगर निगम उन पर कोई भी कार्यवाई करना छोड़ स्वयं मेंटेनेंस के नाम पर वसूली करने में व्यस्त है। नगर निगम द्वारा भेजे गए 20 दबंग गुंडे यात्री बसों और ऑटो से 20 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की वसूली करते हैं। यहां तक कि नगर निगम द्वारा भेजे गए गुंडे पैसा देने से मना करने पर मारपीट करने पर भी उतारू रहते हैं।
सुविधा के नाम पर यात्रियों को दिखा रहे ठेंगा
अंतरराज्यीय बस स्टैंड में यात्रियों के साथ बदसलूकी, मारपीट, समान छीनने जैसी वारदातें होते रहती हैं। जिसके कारण यात्री डर में सफर करने को मजबूर है। लेकिन जिन यात्रियों को सुविधा देने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री ने उन्हें आईएसबीटी की सौगात दी थी वह बातें भी केवल हवाहवाई निकली। इतने बड़े बस टर्मिनल में एक एटीएम मशीन की व्यवस्था नहीं। चूँकि बस टर्मिनल में अवैध वसूली की लूट मची हुई है। ऐसे में अगर कोई यात्री सीमित पैसा लेकर आते हैं तो कई बार उनके पास इन वसूली करने वाले लोगों को देने के लिए पैसे नहीं होते क्या जरूरत पड़ने पर उन्हें एटीएम से पैसा निकालने के लिए 1 किलोमीटर तक जाना पड़ता है।
ऑटो प्रीपेड बुकिंग की व्यवस्था नहीं, यात्रियों से लूट रहे पैसे
बात करें सफर करने वाले यात्रियों की तो बस से आने के बाद अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए यात्रियों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऑटो प्रीपेड बुकिंग की व्यवस्था नहीं होने के चलते ऑटो चालक यात्रियों से मनमाने पैसे वसूल करते हैं। भले ही यात्रियों को 10 किलोमीटर के अंदर ही क्यों न जाना पड़े लेकिन ऑटो चालक उनसे 200 से 300 रुपयों की मांग करते हैं और नहीं देने पर गाड़ी से उतरने की भी धमकी देते हैं। जिसके कारण मजबूरी में यात्रियों को ज्यादा पैसा देकर ऑटो चालकों का बात मानना पड़ता है। क्योंकि वहां पर सभी ऑटो चालकों ने अपना एक यूनियन बना लिया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो आईएसबीटी का पूरा अड्डा ही अवैध वसूली के कारनामों से घिरा हुआ है। जिसका शिकार सिर्फ और सिर्फ यात्री हो रहे है।
पुलिस चौकी की व्यवस्था नहीं, कौन सुने यात्रियों की गुहार
जब से आईएसबीटी बना है तब से आए दिन यहां से कोई ना कोई अपराध से जुड़ी खबर सामने आती रही है। और यह बात किसी से छुपी भी नहीं है कि आईएसबीटी में अवैध वसूली का गोरख धंधा फल-फूल रहा है, जिसमें यात्री बुरी तरह से इसके शिकार हो रहे हैं। लेकिन यात्रियों की गुहार सुनने के लिए इतने बड़े बस टर्मिनल में एक पुलिस चौकी की व्यवस्था नहीं की गई है। अगर यात्री अपनी शिकायत लेकर ट्रैफिक पुलिस के पास जातें है तो उन्हें टिकरापारा थाना जाने की बात कह दी जाती है। लेकिन वहां भी इनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ऐसे में जो यात्री छत्तीसगढ़ से बाहर से आ रहे हैं उन्हें और भी ज्यादा परेशानी होती है।
कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो प्रदेश की सरकार ने मेट्रो सिटी का आइडिया अपनाते हुए इंटरनेशनल बस टर्मिनल का निर्माण तो करा दिया लेकिन इसे ठीक तरीके से संचालित करने में विफल साबित हुए हैं । सीएम बघेल ने यात्रियों को आईएसबीटी के नाम पर दबंगई, रंगदारी,घूसखोरी, अवैध वसूली की सौगात दी है। अपराधों से जुड़ा मामला जगजाहिर होने के बावजूद भी पुलिस, नगर निगम यहां तक कि सरकार भी इसे रोकने में इस पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रही है।