National

मोक्ष प्राप्ति की आशा में भाई बहन साथ करते हैं यमुना में स्नान

 मथुरा !   यम द्वितीया के पावन पर्व पर कान्हा नगरी मथुरा में मोक्ष प्राप्ति की आशा में देश के कोने कोने से भाई बहन विश्राम घाट पर साथ साथ पतित पावनी यमुना में स्नान करते हैं।मान्यता है कि यम द्वितीया पर्व पर यमुना के विश्राम घाट पर भाई बहन के साथ साथ स्नान करने से यम के फांस से मुक्ति मिलती है। मशहूर ज्योतिषाचार्य अजय तैलंग के अनुसार इस बार यम द्वितीया का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा।

Related Articles


एक पौराणिक दृष्टांत देते हुए गोवर्धन पीठाधीश्वर शंकराचार्य अधोक्षजानन्द देव तीर्थ ने बताया कि सूर्य देव की पत्नी का नाम संज्ञा था। संज्ञा से तीन संताने वैवाश्वत, यम एवं यमी यानी यमुना हुईं। एक बार तरल यमुना ने यम द्वितीया पर्व पर अपने भाई यमराज को बुलाया और उनकी बहुत अच्छी आवभगत की। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वर मांगने को कहा तो सर्व कल्याणकारी यमुना ने उनसे कहा कि जो भी भाई बहन साथ साथ यमुना में स्नान करें ताकि उन्हें यमलोक न जाना पड़े और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो। यह सुनकर यमराज किंकर्तव्य-विमूढ़ हो गए।यम ने कुछ सोचने के बाद यमुना से कहा कि बहन तुमने ऐसा वरदान मांगा है जिसे पूरा करना संभव नही है क्याेंकि इससे जन्म मरण के पाप पुण्य में कोई अन्तर ही नही रहेगा। यही नही तुम्हारा विस्तार इतना अधिक है कि इसे पूरा करना संभव नहीं है। उन्होंने इसमें संशोधन कर कहा कि जो भाई बहन यम द्वितीया के पावन पर्व मथुरा के विश्राम घाट पर साथ साथ स्नान करेंगे उन्हें यमलोक में जाना नही पड़ेगा तथा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने यमुना का विश्राम घाट ही इसलिए चुना कि भगवान श्रीकृण और उनके भ्राता बलराम ने कंस वध करने के बाद इसी पावन स्थल पर विश्राम किया था।


वैसे तो यम द्वितीया पर विश्राम घाट में स्नान करने के लिए कुछ विदेशी कृष्ण भक्त भी आते हैं लेकिन उन्हें यम द्वितीया पर बहन के साथ घाट पर स्नान करने के बारे में पता नही होता इसलिए अकेले ही आ जाते हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराट्र ,गुजरात आदि प्रांतों से तीर्थयात्री आते हैं।


सबसे अधिक संख्या गुजरातियों की होती है जो स्नान के बाद एक लोटी में यमुना जल बंद कराकर अपने घर ले जाते हैं और वहां पर लोटी खोलने के समय धार्मिक आयोजन करते हैं। जिन लोगों को विश्राम घाट के महत्व का पता नही होता वे अन्य घाटों में या यमुना के उस पार विश्राम घाट के सामने स्नान करते हैंं। स्नान के बाद विश्राम घाट के पास ही बने धर्मराज मन्दिर में जाकर पूजन अर्चन करते हैं इस मन्दिर में यम और यमी के विगृह हैं। पुण्य करनेवालेां एवं घट घट में भगवान देखनेवालों केा यहां पर यम का विगृह घर्मराज का विगृह सा दिखाई पड़ता है और शेष के लिए यम और यमी के रूप में ये विगृह दिखाई पड़ते हैं।


यम द्वितीया का स्नान रात दो बजे से शुरू होकर अगले दिन शाम आठ बजे तक चलता रहता है। इस दिन एक प्रकार से घाटों पर मेला सा लग जाता है इसीलिए अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने मुख्यमंत्री से इस मेले को राजकीय मेला घोषित करने की मांग की है। इसी प्रकार की मांग माथुर चतुर्वेद परिषद मथुरा ने भी की है।

प्रशासनिक व्यवस्थाओं के बारे में जिलाधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि जहां विश्राम घाट की सफाई को सुनिश्चित किया जा रहा है वहीं घाट में बने गड्ढों को भरा जा रहा है। स्नान स्थल को तीन तरफ से नावों से घेर दिया जाएगा साथ ही मोटर बोट को स्नान के समय तैयार रखा जाएगा। गोताखेारों की भी व्यवस्था की गई है। महिलाओं को कपड़े बदलने के लिए घाट पर ही चेन्ज रूम की व्यवस्था की जा रही है। घाटों पर अनवरत विद्युत आपूर्ति को सुनिश्चित किया गया है तथा खोया पाया केन्द्र के साथ ही कंट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि घाटों पर पुलिस बल भी लगाया जा रहा है तथा जेबकटी, जंजीर खीचने, महिलाओं से अभद्रता करने एवं उनके कपड़े उठानेवालों की पकड़ के लिए स्नान स्थल पर सादा वर्दी में महिला पुलिसकर्मी लगाए जाएंगे। घाटों के पास भारी पुलिस बल भी तैनात रहेगा। उन्होंने बताया कि सुरक्षा से किसी प्रकार का समझौता न करते हुए स्नानार्थियों की संख्या बढ़ने पर उन्हे छोटे टुकड़ो में घाट पर स्नान के लिए भेजा जाएगा। प्रशासन जहां एक ओर भक्तों को अधिकतम सुविधा देने का प्रयास कर रहा है वहीं सुरक्षा पर उसकी विशेष नजर है। कुल मिलाकर यम द्वितीया पर विश्राम घाट पर वातावरण इतना भावपूर्ण हो जाता है कि भक्ति नृत्य करने लगती है तथा साथ साथ स्नान करनेवाले भाई बहन के लिए यह यादगार बन जाता है।

Desk idp24

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!