National

चंद्रयान-3 की हुई सफल लैंडिंग …चांद पर लहराया तिरंगा

नई दिल्ली: भारत के मून मिशन यानी चंद्रयान-3 ने आज चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग किया है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करते ही भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. साथ ही चांद पर अपना यान उतारने का कारनामा करने वाला दुनिया का चौथा देश भी. भारत से पहले मिशन मून को अमेरिका, रूस और चीन अंजाम दे चुके हैं.

कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग?

– 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था. – 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था. – 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे. – 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच. – 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच.

– 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी. – चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी.

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?

1. रंभा (RAMBHA)… यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा.

2. चास्टे (ChaSTE)… यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा.

3. इल्सा (ILSA)… यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा.

4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) … यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा. प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे?

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope – LIBS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा.

2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer – APXS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी.

Desk idp24

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!