अंबेडकर अस्पताल के शिशु वार्ड का हाल-बेहाल, जितने की क्षमता नहीं उससे ज्यादा भर्ती
रायपुर। छत्तीसगढ़ के शासकीय आंबेडकर अस्पताल के शिशु राेग विभाग में नवजातों के बढ़ते दबाव की वजह से डॉक्टर एक बेड पर तीन से चार शिशु को भर्ती कर रहे है। वहीं इसमें संक्रमण के खतरे भी हैं, लेकिन जिंदगी बचाने का कोई दूसरा रास्ता न होने के चलते डॉक्टर और स्वजन को खतरे को नजरअंदाज करके मजबूरी में ऐसा करना पड़ रहा है। शिशु राेग विभाग के एसएनसीयू की बेड क्षमता बढ़ा दी जाए तो नवजातों को स्वस्थ जिंदगी मिल सकेगी।
डॉक्टरों का भी यही कहना है कि एक बेड पर दूसरे बीमार बच्चे को भर्ती करना खतरनाक होता है। क्योंकी इससे कोई गंभीर बीमारी दूसरे बच्चे को भी हो सकती है, जो उसकी जान के लिए खतरा बन सकती है। आंबेडकर अस्पताल में छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों से भी बच्चे इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। यहां के शिशु रोग विभाग में नवजातों को भर्ती करने के लिए एसएनसीयू में 24 और नर्सरी केयर में 22 बिस्तरों की सुविधा है, जबकि हमेशा 80 से 90 नवजात भर्ती रहते हैं।
वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जन्म लेने वाले अस्वस्थ बच्चों के लिए आंबेडकर अस्पताल का एसएनसीयू वरदान है। एसएनसीयू के सारे बेड रेडिएंट वार्मर, आक्सीजन कंसंट्रेटर, फोटोथेरेपी, पल्स आक्सीमीटर तथा इंफ्यूजन पंप आदि आधुनिक चिकित्सीय उपकरणों से लैस है। इन्हीं उपकरणों के सहारे जन्म लेने के बाद मौत से जूझते बच्चों को नया जीवन प्रदान किया जाता है।
हर माह करीबन एक हजार डिलीवरी
आंबेडकर अस्पताल में हर महीने करीब 1000 से अधिक डिलीवरी होती हैं, जो प्रदेश के किसी भी अस्पताल में हुई डिलीवरियों से ज्यादा हैं। वहीं प्रतिदिन यहां 150 की ओपीडी है। कोरोना काल में भी अस्पताल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में करीब 300 से अधिक संक्रमित महिलाओं की स्वस्थ डिलीवरी कराई गई थी।
आंबेडकर अस्पताल के अधीक्षक डा एसबीएस नेताम ने कहा कि, बीमार नवजातों को अन्य से अलग रखा जाता है, इससे संक्रमण का खतरा नही है। नई बिल्डिंग प्रस्तावित है, जिसमें नवजातों के लिए अलग से वार्ड बनेगा।