National

लोकसभा चुनाव खत्म होते ही कांग्रेस ने शुरू की ‘वसूली’ : कर्नाटक में बढ़ाए गए पेट्रोल-डीजल के दाम

चेन्नई। लोकसभा चुनाव 2024 खत्म हो चुका है। कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडी गठबंधन की बुरी तरह से हारने के बाद अब इसका गुस्सा आम जनता पर निकलने लगा है। कांग्रेस के सत्ता वाले सबसे बड़े राज्य कर्नाटक में जनता को अब पेट्रोल-डीजल की बढ़ी हुई कीमतों से ये गुस्सा सहना पड़ेगा। कर्नाटक की कांग्रेस की सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर बेतहाशा टैक्स लाद दिए हैं। इसी के साथ पेट्रोल की कीमतें भी बढ़कर 102.85 रुपए प्रति लीटर हो गई हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्नाटक सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर सेल्स टैक्स क्रमश: 3 रुपए और 3.20 रुपए बढ़ा दिए हैं। इस आदेश के अनुसार, पेट्रोल 25.92 से 29.84% और डीजल 14.34% से 18.44% तक सेल्स टैक्स बढ़ा दिया गया है। जिसके बाद पेट्रोल की कीमत 3 रुपये बढ़कर 102.85 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी, जबकि डीजल की कीमत 3.02 रुपये बढ़कर 88.93 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी। यह आदेश तत्‍काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। अभी तक बेंगलुरु में पेट्रोल 99.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 85.93 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था, लेकिन नए आदेश के बाद बढ़ी हुई कीमतें तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं।

कर्नाटक सरकार जुटाएगी 2500 से 2800 करोड़ रुपए

जानकारी के मुताबिक, ईंधन की कीमतों में वृद्धि से इस वित्तीय वर्ष में लगभग 2,500-2,800 करोड़ रुपये जुटाने में मदद मिलेगी। कांग्रेस पार्टी ने राज्य में सरकार बनने पर गारंटियों की घोषणा की थी, जिसके लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए राज्य सरकार ने भारतीय निर्मित शराब (आईएमएल) पर सभी स्लैबों पर 20 प्रतिशत अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एईडी) लगाया है और बीयर पर एईडी 175 प्रतिशत से बढ़ाकर 185 प्रतिशत कर दिया है, नए पंजीकृत परिवहन वाहनों पर 3 प्रतिशत अतिरिक्त उपकर लगाया है, 25 लाख रुपये से अधिक के ईवी (इलेक्ट्रिक वाहनों) पर आजीवन कर लगाया है और कर संग्रह में तेजी लाई है।

इस मामले में बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा, “सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस राज्य में डीजल और पेट्रोल की कीमतों में भारी वृद्धि की है। लोगों को उम्मीद थी कि राहुल गांधी के वादे के अनुसार उनके बैंक खातों में 8500 रुपये आएंगे। इसके विपरीत, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से उन पर भारी बोझ पड़ा है। यह राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई गारंटी योजनाओं का नतीजा है। राज्य सरकार आर्थिक रूप से दिवालिया हो चुकी है, वे जो कुछ भी उपलब्ध है, उससे राजस्व निकालने की कोशिश कर रहे हैं…”

बता दें कि, सिद्धारमैया के 2024-25 के राजस्व-घाटे वाले बजट में कुल 3,71,383 करोड़ रुपये का रेवेन्यू है। 27,354 करोड़ रुपये के घाटे के साथ, यह संभवतः पहली बार है जब किसी वित्तीय वर्ष में वार्षिक उधारी 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।

Desk idp24

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!