पेन्ड्रा में गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की स्मृतियों को समाप्त करने की कबायद, लोगों ने किया विरोध
गौरेला-पेंड्रा-मरवाहीः स्थानीय जिला प्रशासन जिले के उस ऐतिहासिक स्थल को बर्बाद करने पर अमादा है जहां कभी गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने समय बिताया था। जिले में नये कंपोजिट बिल्डिंग बनाये जाने के लिए प्रशासन ने उस स्थान को खाली करने के लिए सैकड़ो साल पूराने पेड़ों को काटने के आदेश दे दिए है। दरअसल वर्तमान जिला कलेक्टर कार्यालय के ठीक बगल में स्थित ऐतिहासिक धरोहर गुरूकुल परिसर में ही जिले का नया कंपोजिट भवन बनाया जाना प्रस्तावित है। इस परिसर में सैकड़ो साल पुराने पेड़ हैं। यहीं सेनेटोरियम अस्पताल में अपनी पत्नि का इलाज कराने के लिये साल 1902 में राष्ट्र कवि गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर पहुंचे थे।
गुरूकुल परिसर की हरियाली को जिले की शान और पहचान माना जाता है। प्रशासन ने यहीं पर पेड़ो को काटकर कंपोजिट बिल्डिंग बनाये जाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिये एसडीएम पेंड्रारोड ने फिलहाल पहले चरण में सैकड़ो साल पूराने आठ पेड़ों को काटने की अनुमति दी हैं। जिसके बाद शनिवार, रविवार को छुटटी का फायदा उठाते हुये ठेकेदार और लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने करीब एक दर्जन पेड़ों को काट दिया।
गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर की स्मृतियों को संजाये सैकड़ो साल पूराने पेड़ काटे जाने का स्थानीय लोगों से विरोध किया है। स्थानीय लोगों ने विरोध स्वरूप का काटे गये पेड़ों की ठूंठ के सामने शोक व्यक्त किया। स्थानीय लोगों ने पेड़ के ठूठ के उपर कफन ओढ़ाया और पेड़ कटाई की निंदा किया।
एसडीएम की अनुमति में बरगद का विशाल पेड़ को भी काटने का प्रस्ताव है जिसे रोकने के लिये लोगों ने बरगद के पेड़ को रक्षा सूत्र बांधकर विरोध दर्ज कराया। लोगों का कहना है कि इसी परिसर के आसपास और जिले में कई दूसरी जगह है जहां पर कंपोजिट बिल्डिंग बनायी जा सकती है और क्षेत्र की पहचान गुरूकुल और सेनेटोरियम परिसर की हरियाली को बचाया जा सकता है। इस कटाई को लेकर लोगों ने एनजीटी और केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भी ऑनलाईन माध्यम से शिकायत की है।